नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हालांकि, जब्त किए गए वाहनों पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कोर्ट के फैसले पर सरकार ने खुशी जाहिर की है। इस आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने इस तरह के वाहनों के खिलाफ फिलहाल जब्ती या ईंधन रोकने जैसी सख्त कार्रवाई नहीं करेगी। इससे करीब 62 लाख वाहन मालिकों को राहत मिली है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के लिए 2014-15 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाई थी, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। इस नियम ने लाखों लोगों, खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के वाहन मालिकों को मुश्किल में डाल दिया। पुरानी गाड़ियां उनके लिए रोजी-रोटी और रोजमर्रा की जरूरतों का साधन हैं। दिल्ली सरकार का मानना है कि अब बीएस-4 सहित प्रदूषण के जांच की बेहतर व्यवस्था है, ऐसे में उम्र के आधार पर वाहनों को सड़क से हटाना जरूरी नहीं। इसी आधार पर दिल्ली सरकार ने अदालत से इस मामले में पहले के फैसले पर फिर से विचार करने की गुजारिश की है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इसी साल जुलाई में आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन न दिया जाए। साथ ही, इन वाहनों को सार्वजनिक जगहों पर पाए जाने पर जब्त कर स्क्रैप यार्ड भेजने और चार-पहिया वाहनों पर 10,000 रुपये, दोपहिया पर 5,000 रुपये जुर्माना लगाने का नियम बनाया गया। इसके लिए दिल्ली के 500 से ज्यादा पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगाने की योजना थी, जो वाहन की उम्र चेक कर ईंधन रोकने का अलर्ट देती। तकनीकी खामियों और जनता के विरोध के बाद सीएक्यूएम ने इसे नवंबर 2025 तक टाल दिया।
एएनपीआर कैमरे वाहन की नंबर प्लेट स्कैन कर वाहन डाटाबेस से उम्र चेक करते हैं। सरकार का कहना है कि ये कैमरे अभी पूरी तरह से काम नहीं कर रहे। कई बार गलत अलर्ट की वजह से सही वाहनों को भी रोका गया, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है।
वाहन डाटाबेस के मुताबिक, दिल्ली में करीब 62 लाख ईओएल वाहन हैं, जिनमें 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चार-पहिया वाहन शामिल हैं। इनमें से 1.5 से 2 लाख वाहन अभी भी सड़कों पर चल रहे हैं। 2023-24 में 15,401 वाहनों को जब्त किया गया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये वाहन वापस होंगे या नष्ट कर दिए गए हैं।
सरकार की स्क्रैप नीति के तहत पुराने वाहनों को कबाड़ में डालने की बात थी, लेकिन कई मालिकों का कहना है कि उनकी गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में पास हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार जब्त वाहनों के लिए मुआवजा देगी या नई नीति बनाएगी। सरकार ने सीएक्यूएम से कहा है कि उनके पास ईओएल वाहनों को जब्त करने की उचित व्यवस्था नहीं है। फिलहाल जुलाई में जब ईंधन रोकने का आदेश लागू हुआ तो लोगों ने इस निर्णय का विरोध किया। लोगों ने कहा कि उनकी गाड़ियां कम चलती हैं और फिटनेस टेस्ट में पास हैं, फिर भी उम्र के आधार पर रोक अनुचित है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से फिटनेस सेंटर्स बनाने को कहा था, लेकिन तत्कालीन आप सरकार ने इस पर कदम नहीं उठाया। उस समय भी दिल्ली के लोग इस निर्णय से खुश नहीं थे। अब भाजपा सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद यह राहत मिली है।
दिल्ली की सड़कों पर फिर दौड़ेंगी 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां, 62 लाख वाहन मालिकों को लाभ
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