मेरठ: गंगा एक्सप्रेसवे का कार्य तेजी से चल रहा है। इस एक्सप्रेसवे पर फाइटर प्लेन भी उतर सकेगा। खास बात यह है कि इस एक्सप्रेसवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे। जिस वजह से मेरठ से छह घंटे में ही प्रयागराज पहुंच सकेंगे। मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। कुंभ मेले से पहले इसे चालू करने की तैयारी है। 594 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे 12 जिलों के 518 गांवों से होकर गुजरेगा। मेरठ-बुलंदशहर हाईवे पर बिजौली गांव से शुरू होकर गंगा एक्सप्रेसवे प्रयागराज में एनएच 19 पर जुदापुर दादू गांव के पास तक होगा। खरखौदा क्षेत्र के खड़खड़ी गांव में 16 लेन का टोल प्लाजा का निर्माण अंतिम दौर में है। जंगल में 15 किलोमीटर तक सड़क निर्माण हो गया है। अभी यह छह लेन का एक्सप्रेसवे है, लेकिन बाद में इसे आठ लेन तक चौड़ा किया जा सकेगा। इस पर आपातस्थिति में फाइटर प्लेन भी आसानी से उतर सकेगा। मेरठ से प्रयागराज तक का सफर सिर्फ छह घंटे में तय किया जा सकेगा और 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे।
गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण भी 12 चरणों में ही किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 36,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ के बाद ये हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होता हुआ प्रयागराज पर खत्म होगा। गंगा एक्सप्रेसवे पर न केवल गाड़ियां दौडेंगी, बल्कि आपातस्थिति में बड़े फाइटर प्लेन और हेलीकॉप्टर भी इस पर उतर सकेंगे। शाहजहांपुर में 3.50 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई जा रही है। इसके अलावा गंगा और रामगंगा नदियों पर दो बड़े पुलों का निर्माण भी किया जा रहा है। गंगा एक्सप्रेसवे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे के जरिए राज्य के अन्य एक्सप्रेसवे को भी जोड़ेगा।
मेरठ के खरखौदा के गांव बिजौली से शुरू हो रहे एक्सप्रेसवे की मुख्य सड़क के 10 किलोमीटर लंबे भाग को गांव भधौला, अटौला और गोविंदपुरी के जंगल तक बना लिया गया है। वहीं 10 किलोमीटर लंबी अन्य सड़क का काम अंतिम चरण में है। इसके अलावा हिस्से पर गिट्टी डालने का कार्य चल रहा है, वहीं बिजौली इंटरचेंज भी आकार लेने लगा है। नेशनल हाईवे-334 पर ओवरब्रिज पर पिलर और स्लैप डालने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। यहां आसपास मिट्टी भराव का कार्य पूरा हो चुका है, उतार चढ़ाव पर मिट्टी डाली जा रही है। गांव अतराड़ा में काली नदी के ऊपर पुल बनकर तैयार हो चुका है, ऐसे ही गांव अटौला में भी बड़ा पुल बनाने का कार्य अंतिम दौर में हैं। वहीं गंगा एक्सप्रेसवे के मध्य में बने डिवाइडर के बीच में छोटे पौधे और फुलवारी लगाने का काम भी शुरू हो गया है।
सिर्फ छह घंटे में 594 KM का सफर: गंगा एक्सप्रेसवे पर उतर सकेगा फाइटर प्लेन
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