पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने उपनल कर्मियों सहित अथिति शिक्षकों और मनरेगा कर्मियों के समर्थन में घोषित उपवास पर उपनलकर्मी मनरेगा व अथिति शिक्षकों के संघर्ष को सलाम कर आरम्भ किया. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उपवास के समापन के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मैंने, अपने उपनलकर्मी ,मनरेगा व अथिति शिक्षक भाई और बहनों जो अपने बुनियादी अधिकार के लड़ रहे हैं, जीने का अधिकार. सेवा दे रहे हैं, मगर शोषण हो रहा है, राजकीय सेवा में हैं, काम कर रहे हैं, मगर अनिश्चिय की तलवार सर पर लटकी हुई है. मेरी सरकार ने कुछ प्रयास किये थे, वो राजनीति के भेंट चढ़ गये, नहीं तो अभी तक उपनलकर्मी और उनकी जो चुनौती है, उसका समाधान निकल गया होता. यही स्थिति हमारे अतिथि शिक्षकगणों की भी है. मैं, इनके लिये बहुत चिंतित हॅू और इसलिये आज मैंने एक घंटे के मौन उपवास के माध्यम से इनकी समस्या को हल करने के लिये सरकार से आग्रह किया है और मैं, राज्य सरकार से व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूंँ कि वो हस्तक्षेप करें.
ये सीधा-सीधा मामला है, कोई भी कोर्ट, कोई भी कानून, किसी भी सरकार अन्याय को दूर करने के लिये नहीं रोकता है और उपनलकर्मियों के साथ स्पष्टतः अन्याय हो रहा है, अतिथि शिक्षकों के साथ स्पष्टतः अन्याय हो रहा है और अब इस अन्याय के शिकार मनरेगा कर्मी भी हो रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है, ज्वाइन करो नहीं तो तुमको बर्खास्त कर दिया जायेगा, वो केवल अपना अधिकार मांग रहे हैं और वो अधिकार मांग रहे हैं जो एक मंत्रीमण्डल ने उनको दिया है, कांग्रेस के समय में जो निर्णय हुआ था, आप उस निर्णय को एक शासकीय आदेश से नहीं बदल सकते हैं, लेकिन बदल दिया गया है, वो लोग राज्य सरकार के सम्मुख निरन्तर दस्तक दे रहे हैं, तीसरी बार आज मैं उन पर बात कर रहा हॅू, तो ये सब संघर्षरत लोगों को मेरा यह मौन उपवास समर्पित है.उन्होंने अपना उपवास प्रातः 11 से 12 तक किया.