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Monday, December 23, 2024

भारत में बनने लगीं AK-203 असॉल्ट राइफलें, स्वदेशी रूप से तैयार हो रहे कई और उपकरण

सुरक्षा से जुड़े मानकों का समय की मांग के अनुसार अपडेट करते रहना अति आवश्यक होता है। तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर भारत भी सुरक्षा बलों को आधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस कर रहा है। इसी क्रम में भारत ने बेहतरीन सफलता हासिल करते हुए देश में ही एके-203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, 7.62 एमएम कलाश्निकोव की पहली खेप तैयार होने के बाद जल्द ही भारतीय सेना को डिलीवर की जाएगी।

पीएम मोदी ने की थी योजना का शुरुआत

आखिरकार एक दशक तक इंतजार के बाद एके-203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन शुरू हो गया है। रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में एके-203 राइफलों का निर्माण करने के लिए पीएम मोदी ने 3 मार्च, 2019 को इस योजना की औपचारिक शुरुआत की थी। इस परियोजना को इंडो-रशियन जॉइंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाएगा। यह राइफल एडवांस वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, मियूनीशेंन्स इंडिया लिमिटेड और रूस की रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और कॉनकॉर्न कलाश्निकोव मिलकर बना रही है। 7.62 X 39 एमएम कैलिबर की पहली 70 हजार एके-203 राइफल्स में रूसी कलपुर्जे लगे होंगे, लेकिन इसके बाद पूरी तरह से यह राइफल स्वदेशी हो जाएगी। यह राइफल्स काउंटर इंसर्जेंसी और काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में भारतीय सेना की क्षमता को बढ़ाएंगी।

एके-203 राइफलों की खासियत

सशस्त्र बलों के लिए स्वदेश रूप से तैयार हो रहे कलाश्निकोव ब्रांड की ये राइफलें कई खूबियों से लैस हैं।

स्वदेश निर्मित इन राइफलों की लंबाई करीब 3.25 फुट है और गोलियों से भरी राइफल का वजन लगभग चार किलोग्राम होगा।

यह नाइट ऑपरेशन में भी काफी कारगर होगी, क्योंकि यह एक सेकंड में 10 राउंड फायर यानी एक मिनट में 600 गोलियां फायर करने में सक्षम हैं।

जरूरत पड़ने पर इससे 700 राउंड भी फायर किए जा सकते हैं।

इसके साथ ही एके-203 असॉल्ट राइफल 300 मीटर की रेंज में आने वाले टारगेट को आसानी से भेद सकती है।

एके-203 असॉल्ट राइफल की गोली की गति 715 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।

नई असॉल्ट राइफल में एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टम होंगे, जिससे एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां चलती रहेंगी।

रक्षा आत्मनिर्भरता को मिल रही मजबूती

रक्षा मंत्रालय अत्याधुनिक तकनीकों के साथ लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और भारत को एक स्वदेशी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रह है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत साहस और समर्पण के साथ सीमाओं की रक्षा कर रहे सशस्त्र बलों के लिए देश में निर्मित रक्षा उपकरण उपलब्ध करा रहा है। सरकार के इस आत्मनिर्भरता के सफल प्रयास और सशस्त्र बलों की तैयारी और तत्‍परता का परिणाम ही है कि आज भारत के पास पूरी तरह से विश्‍वसनीय सुरक्षा तंत्र में है। इस क्रम में रक्षा आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाते हुए रूस और भारत सैन्य-तकनीकी सहयोग परियोजनाओं को लागू करना जारी रखेंगे। रोसोबोरोनेक्सपोर्ट का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण मामले में भारतीय पक्ष को सहयोग करके ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को आगे रखना है। भविष्य में कंपनी कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल प्लेटफॉर्म पर आधारित उन्नत राइफलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी उत्पादन सुविधाओं को अपग्रेड कर सकती है।

स्वदेशी रूप से तैयार हो रहे कई और उपकरण

आत्मनिर्भर भारत के तहत आयुध निर्माणी की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके साथ- साथ भारत ने कई रक्षा उपकरणों के आयात पर भी बैन लगाया है, जिनका स्वदेशी रूप से उत्पादन किया जाएगा। इस क्रम में देहरादून की आयुध निर्माणी की ओर से तैयार विभिन्न डे और नाइट विजन उपकरणों के अलावा पूर्ण रूप से स्वदेशी 11 उपकरणों को भी लॉन्च किया गया है। भारत अब ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी हथियारों को ज्यादा तरजीह दे रहा है। यह बात बीते वर्षों में कई सरकारी फैसलों में सामने आई है। हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा बलों के लिए स्वदेशी रूप से उपकरणों को तैयार करने के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें सैन्य बलों के लिए बुलेट प्रूफ हेलमेट का निर्माण करना भी शामिल है।

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