बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में सुबह अजीब नजारा देखने को मिला। यहां कई विधायक अपनी तकिया और चादर लिए सदन के अंदर ही आराम करते दिखे। इनमें से कई विधायक सोने के बाद उठकर अपना सामान उठाकर बाहर ले जाते भी दिखे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही विधायकों की यह तस्वीरें चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
गौरतलब है कि भाजपा ने एक दिन पहले ही मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में फर्जी जमीन आवंटन पर चर्चा की मांग की थी। हालांकि, जब इसे लेकर विपक्ष को अनुमति नहीं मिली तो विधायकों ने विधानसभा और विधान परिषद के अंदर ही दिन रात धरने का एलान किया। भाजपा का आरोप है कि एमयूडीए का ही एक प्लॉट मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को भी आवंटित किया गया है। पार्टी ने इसे लेकर विधान सौधा में चर्चा की मांग की है। भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों सदनों में विपक्ष को इस मुद्दे पर चर्चा की इजाजत नहीं दी गई जबकि विधानमंडल सत्र शुक्रवार को समाप्त होने वाला है।
सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने मैसूर के विजयनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल, मुख्य सचिव और राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को भी पत्र लिखकर विवाद की जांच की मांग की थी। कृष्णा ने आरोप लगाया है कि मैसूर जिला कलेक्टर और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, उनके साल मल्लिकार्जुन, उपायुक्त, तहसीलदार, उप रजिस्ट्रार और मुदा के कुछ अधिकारी भूमि आवंटन घोटाले में शामिल हैं।
स्नेहमयी ने शिकायत में कहा कि सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन ने अन्य सरकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मदद से 2004 में अवैध रूप से जमीन खरीदी और जाली दस्तावेजों के आधार पर इसकी रजिस्ट्री कराई। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्वती, मल्लिकार्जुन और एक अन्य व्यक्ति ने इन दस्तावेजों का इस्तेमाल मुदा से जुड़े करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए किया।
कर्नाटक में भूमि आवंटन घोटाला सुर्खियों में रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री की पत्नी 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान मुदा की लाभार्थी थीं। उस समय मैसूर के प्रमुख स्थानों में 38,284 वर्ग फुट भूमि उन्हें उनकी 3.16 एकड़ जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में आवंटित की गई थी। मैसूर के केसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें उपहार में दी थी। मुआवजे के तौर पर दक्षिण मैसूर में एक प्रमुख इलाके में उन्हें जमीन दी गई। आरोप है कि केसर गांव की जमीन की तुलना में इसकी कीमत काफी अधिक है। इसके कारण मुआवजे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
कर्नाटक विधानसभा में तकिया-चादर लेकर सोने पहुंचे भाजपा विधायक
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