23 C
Dehradun
Sunday, August 24, 2025


spot_img

देश में लिंगानुपात में सुधार की उम्मीद, 2026 तक प्रति 1000 पुरुषों में होंगी 952 महिलाएं

नई दिल्ली: भारत में लिंगानुपात में सुधार की उम्मीद है। सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है। सरकार ने बताया है कि वर्ष 2036 तक प्रति 1000 पुरुषों पर 952 महिलाओं के पहुंचने की उम्मीद है। वर्ष 2023 में यह अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2036 की जनसंख्या में वर्ष 2011 के मुकाबले महिलाओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है। बताया गया है कि लिंगानुपात के मामले में वर्ष 2036 तक प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 952 हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2036 तक भारत की जनसंख्या 152.2 करोड़ तक पहुंच सकती है। इनमें महिलाओं की संख्या 48.8 प्रतिशत हो सकती है। यह वर्ष 2011 के 48.5 से आंकड़े से थोड़ा सा अधिक है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि प्रजनन क्षमता में गिरावट के कारण 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या का अनुपात वर्ष 2011 के मुकाबले वर्ष 2036 में घट सकता है। इसके अलावा 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
अब आयु विशिष्ट प्रजनन दर (एएसएफआर) की बात करते हैं। सरकार ने बताया कि 2016 से 2020 के बीच 20 से 24 वर्ष और 25 से 29 वर्ष की आयु के युवाओं की प्रजनन दर में कमी देखने को मिली है। इसके अलावा 35 से 39 आयु वर्ग के एएसएफआर में 32.7 से 35.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। इससे पता चलता है कि महिलाएं परिवार के विस्तार के बारे में सोच रही हैं।
वर्ष 2020 में निरक्षर आबादी के लिए किशोर प्रजनन दर 33.9 थी जबकि साक्षरों के लिए 11.0 थी। यह दर उन लोगों के लिए भी काफी कम है, जो साक्षर हैं। वहीं शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) की बात करें तो बीते कुछ वर्षों में इसमें कमी देखने को मिली है। वर्ष 2020 से पहले महिला आईएमआर हमेशा पुरुष की तुलना में अधिक रहती थी। वर्ष 2020 में प्रति 1000 शिशुओं में से 28 शिशुओं के स्तर पर पुरुष और महिला बराबर थे। पांच साल से कम उम्र की मृत्यु दर के आंकड़ों पर नजर डालें तो, यह यह दर वर्ष 2015 में 43 थी और 2020 में घटकर 32 हो गई है। यह सुधार लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए देखा गया है और लड़कों और लड़कियों के बीच का अंतर भी कम हुआ है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि वर्ष 1999 तक, 60 प्रतिशत से कम महिलाओं ने मतदान किया। हालांकि, वर्ष 2014 के चुनाव ने एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाया। इस दौरान महिलाओं की भागीदारी 65.6 प्रतिशत तक बढ़ गई। इसके बाद वर्ष 2019 के चुनाव में यह दर 67.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। ऐसा पहली बार हुआ जब महिलाओं के मतदान दर सामान्य रूप से अधिक रही। यह महिलाओं के बढ़ते साक्षरता और राजनीतिक जागरूकता को दर्शाता है।

spot_img

Related Articles

Latest Articles

जस्टिस जेबी पारदीवाला के आदेशों से सुप्रीम कोर्ट में उलझन, चीफ जस्टिस को करना...

0
नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश जेबी पारदीवाला के फैसलों ने खुद कोर्ट को उलझन में डाल दिया है। ये मामला...

नैनीताल में मतपत्र मामले में मुकदमा, गोपनीयता भंग करने का आरोप

0
नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में मतपत्र की गोपनीयता भंग किए जाने के मामले में वीडियोग्राफर पर मुकदमा दर्ज किया गया...

मंत्रियों की गिरफ्तारी वाले बिल पर टीएमसी-सपा के बाद AAP भी JPC से बाहर

0
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने वाले विवादित विधेयकों की जांच के लिए बनी जेपीसी का आम आदमी पार्टी ने बहिष्कार किया है।...

प्रोटोकॉल तोड़ जनता के बीच पहुंचे सीएम धामी, आपदा प्रभावितों की सुनी समस्याएं, हरसंभव...

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज थराली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया एवं आपदा प्रभावित लोगों से भी मिले। इस...

मुख्यमंत्री ने किया थराली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को चमोली जनपद के आपदा प्रभावित क्षेत्र थराली का दौरा किया और प्रभावितों का हालचाल जाना। मुख्यमंत्री...