नई दिल्ली। भारतीय सेना को जल्द ही रूस से इग्ला-एस (Igla-S) मैनपैड्स के दूसरे बैच की आपूर्ति होने वाली है। वैरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (वीएसएचओआरएडी) के नए सेट की आपूर्ति मई के आखिर या जून की शुरुआत तक हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि भारत और रूस के बीच पेमेंट को लेकर कुछ दिक्कतें पेश हो रही थीं, जिसके चलते इनकी आपूर्ति में देरी हो रही थी। वहीं अब इस समस्या को सुलझा लिया गया है। इससे पहले अप्रैल की शुरुआत में पहले बैच में 24 इग्ला-एस की आपूर्ति की गई थी, जिनमें 100 मिसाइलें भी शामिल थीं।
इग्ला-एस सिस्टम की बात करें, तो 2023 में आपातकालीन खरीद के तहत इनका ऑर्डर दिया गया था। वहीं रूस की कंपनी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत भारत में अदाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड इनकी असेंबली करेगी। इसके तहत सेना ने 260 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के तहत 48 इग्ला-एस लॉन्चर, 100 मिसाइलें, 48 नाइट साइट्स और एक मिसाइल टेस्टिंग स्टेशन का अनुबंध किया और जिसकी डिलीवरी मई 2024 के अंत तक शुरू होगी। वहीं मिसाइल को आयात किया जाएगा, इसके कुछ पार्ट्स जैसे साइट्स, लॉन्चर और बैटरी को अदाणी डिफेंस भारत में असेंबली या निर्मित करेगी। इग्ला-एस की सप्लाई मे देरी की वजह यूक्रेन-रूस वॉर को बताया जा रहा है, क्योंकि युद्ध की शुरुआत में ही रूस को अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से बाहर कर दिया गया था। जिसके चलते एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम जैसी बड़ी डील्स की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही थी। वहीं अब इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है।
इग्ला-एस हाथ से चलने वाला डिफेंस सिस्टम है, जिसे कोई भी कंधे से ऑपरेट किया जाता है। इसे नीची उड़ान वाले विमानों, हेप्टर और यूएवी को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है और यह क्रूज मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों की पहचान कर उन्हें निशाना बना सकता है। इग्ला-एस प्रणाली में 9M342 मिसाइल, 9P522 लॉन्चिंग मैकेनिज्म, 9V866-2 मोबाइल टेस्ट स्टेशन और 9F719-2 टेस्ट सेट शामिल हैं। एयर डिफेंस सिस्टम में ये सभी प्रणालियां एक साथ मिल कर काम करती हैं। यह मिसाइल सिस्टम 500 मीटर से छह किमी तक मार कर सकता है। वहीं यह पांच सेकंड में एक्टिवेट हो जाता है और 10 से 3500 मीटर की एल्टीट्यूड की ऊंचाई वाले इलाकों में काम कर सकता है। इग्ला-एस सिस्टम को देश की उत्तरी सीमा एलएसी और उच्च पर्वतीय इलाकों में तैनात किया जाएगा। पहाड़ी इलाकों में इग्ला-एस मैनपैड्स बेहद कारगर है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना की एक रेजिमेंट को पहले ही इग्ला-एस एयर डिफेंस सिस्टम मिल चुका है।
भारतीय सेना में अभी तक इस्तेमाल की जाती रहीं पुरानी इग्ला-1एम सिस्टम को इग्ला-एस से रिप्लेस किया जाएगा। 2012 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम को बदलने की बात कही थी। भारतीय सेना लंबे समय से कंधे से फायर किए जाने वाले एयर डिफेंस सिस्टम को बदलने की बात कर रही थी। लंबे समय से इसके ट्रायल चल रहे थे। डीआरडीओ ने भी इन्फ्रारेड बेस्ड मैनपैड्स डेवलप किए हैं, जिनका दो बार ट्रायल किया जा चुका है। वहीं डीआरडीओ इसका माउंटेड एडिशन भी लाने की तैयारी कर रही है, जिसका परीक्षण किया जा चुका है।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक इग्ला-एस के अलावा भारतीय सेना को जल्द ही एक इस्राइली हर्मीस-900 स्टारलाइनर ड्रोन भी मिलना वाला है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह अगले महीने तक हैदराबाद पहुंच जाएगा, जहां इस यूएवी को असेंबल किया जाएगा। इस ड्रोन की सप्लाई होने से पाकिस्तान सीमा पर बेहतर तरीके से निगरानी की जा सकेगी। हालांकि, पहला हर्मीस-900 स्टारलाइनर जनवरी में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। जबकि दूसरा ड्रोन सेना को मिल रहा है। भारतीय सेना ने इसका नाम दृष्टि-10 रखा है। इसके बाद तीसरा यूएवी नौसेना और चौथा सेना को दिया जाएगा। भारतीय सेना दृष्टि-10 यूएवी को बठिंडा बेस पर तैनात करेगी, जहां से वह पाकिस्तान पर नजर रखी जा सकेगी।
पिछले साल सेना के तीनों अंगों ने आपातकालीन खरीद के तहत दो-दो यूएवी का ऑर्डर दिया था। वहीं आर्मी और नेवी ने हर्मीस-900 के लिए एल्बिट सिस्टम्स को कॉन्ट्रैक्ट दिया था। जबकि भारतीय वायुसेना ने इस्राइल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज के बनाए हेरॉन एमके2 का ऑर्डर दिया था। 2021 में सेना ने चार हेरॉन एमके2 यूएवी कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जिन्हें पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया था। अदाणी डिफेंस सिस्टम एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, हैदराबाद (एडीएसटीएल) ने एल्बिट सिस्टम्स के साथ करार किया है। एडीएसटीएल हैदराबाद में हर्मीस 900 और हर्मीस 450 के लिए कार्बन एयरोस्ट्रक्चर का निर्माण करती है। इस साल जनवरी में नौसेना को पहला हर्मीस-900 यूएवी मिला था।
वहीं हर्मीस 900 की खासियतों की बात करें, तो यह दो तरह से निशाना बना सकता है। अगर किसी वाहन के सिर्फ ड्राइवर को निशाना बनाना है, केवल उसे ही मारा जा सकता है, बाकी यात्रियों को कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं किसी पूरे इलाके को तबाह करना है, तो यह 10 मीटर दायरे में सभी चीजों को टारगेट बना सकता है।
सेना को इस माह के आखिर तक मिल सकता है इग्ला-एस एयर डिफेंस सिस्टम, दृष्टि-10 ड्रोन की जल्द होगी डिलीवरी
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