देहरादून। राज्य कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक हुई। कैबिनेट की बैठक में 17 प्रस्तावों पर मोहर लगी। मंत्रिमंडल ने आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ विभिन्न विभागों से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। उत्तराखंड आंदोलन और सांस्कृतिक विरासत का इतिहास कक्षा 6 से 8वीं तक हमारी विरासत एवं विभूतियां पढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है।
कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी सचिव गृह शैलेश बगोली ने पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि कक्षा 10 के बाद जो छात्र तीन वर्षीय पॉलिटेक्निक डिप्लोमा करते हैं, उन्हें कक्षा 12 के समकक्ष माना जाएगा। चीनी मिलों के लिए अगेती 375 रुपये, सामान्य प्रजाति 365 रुपए प्रति कुंतल की गई। जबकि गन्ना समर्थन मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उप महानिरीक्षक, अधीक्षक कारागार की नियमावली पास की गई। भारतीय न्याय संहिता के तहत नियमालिओं को अनुमोदन किया गया। मंत्रिमंडल ने आबकारी नीति को भी मंजूरी दे दी है।
कैबिनेट में लिए गए निर्णयों के अनुसार राज्य कर्मियों के लिए शिथिलीकरण का लाभ एक बार मिलेगा सकेगा। कुछ नियमावली में शिथिलीकरण की व्यवस्था की गई है। ये सभी कर्मचारियों के लिए लागू हो गई है। 50 प्रतिशत तक छूट इस नियमावली के अनुसार मिलेगी। राज्य संपत्ति विभाग की समूह-क व समूह-ख की सेवा नियमावली को अनुमोदन कैबिनेट ने किया है। मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना लागू करने पर कैबिनेट ने मंजूरी दी है। स्वरोजगार के लिए 2 लाख रुपये तक मिलेंगे। पेंशन एवं हकदारी निदेशालय में कनिष्ठ सहायक के 13 पद सृजित करते के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड में यूपीएस लागू करने पर कैबिनेट ने अपनी मोहर लगा दी है। इसमें जो कर्मचारी चाहेंगे, वो इसमें आ सकेंगे। स्टाम्प व निबंधन विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों के पद 213 से बढ़ाकर 240 कर दिए हैं। अपर पुलिस अधीक्षक उच्चतम वेतनमान की नियमावली को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। ट्राउट प्रोत्साहन योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस योजना के लिए 200 करोड़ का परिधान किया जाएगा। मत्स्य पालकों को 5 साल तक इनपुट दिया जाएगा जिस पर कैबिनेट ने अपनी मोहर लगा दी है। कार्मिक को रिवोल्विंग फंड इस्तेमाल करने की नियमावली को भी मंजूरी मिल गई हे। उधमसिंह नगर स्थित प्रयाग फार्म की 1354 एकड़ भूमि इंडस्ट्री को दी जाएगी। जिसके लिए कैबिनेट बैठक में आया प्रस्ताव पास हो गया है। एकीकृत स्वयं सहायता योजना को मंजूरी मिली है। इसके लिए 2.3 करोड़ सीएलएफ के लिए प्राविधान किया गया है। गौला, कोसी, दाबका नदियों में सुरक्षा एवं सीमांत शुल्क आदि को रिवाइस किया गया। कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को भी मंजूरी दे दी है।
कैबिनेट ने राज्य की नई आबकारी नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। नई आबकारी नीति में धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। जनसंवेदनाओं को सर्वाेपरि रखते हुए, शराब की बिक्री पर और अधिक नियंत्रण किया जायेगा। उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी उतच लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य
पिछले दो वर्षों में आबकारी राजस्व में राज्य में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है।
पर्वतीय क्षेत्रों में से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में दी जाएगी छूट ।
नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी द्वारा प्रयोग करने के लिए किया जा रहा है प्रोत्साहित ।
आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी। आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है। स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। आबकारी नीति-2025 में जनसाधारण को मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनाने के विशेष अभियान चलाने का प्राविधान किया गया है। नई आबकारी नीति प्रदेश में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।