साल 2047 तक पीएम मोदी ने कहा है कि देश को विकसित राष्ट्र बनाना है। ऐसे में एनर्जी सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम है, साथ ही साथ देश में रोजगार के लिहाज से भी यह क्षेत्र काफी आवश्यक और संभावनाओं भरा है। अमृत काल में देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई मोर्चों पर सरकार योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। इस क्रम में रिन्यूएबल पर फोकस हो या फिर ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत लक्ष्य एक ही है कि अगले 25 साल में भारत ऊर्जा की अपनी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बन सके।
आज भारत पावर सेक्टर में पावर सरप्लस देश
उल्लेखनीय है कि आज भारत पावर सेक्टर में पावर सरप्लस देश बन चुका है, लेकिन डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर हमारे सामने समस्याएं हैं। इसी हफ्ते मंत्रिमंडल में उच्च दक्षता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल्स के लिए पीएलआई स्कीम के दूसरे चरण को मंजूरी दी है। इसके लिए 19,500 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है।
हर साल करीब 1.4 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बचाने में मिलेगी मदद
ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि इस निवेश से हर साल करीब 1.4 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बचाने में भी देश को मदद मिलेगी। एक अनुमान लगाएं तो वित्त वर्ष 2050 तक देश की इकोनॉमी को यदि नेट जीरो बनाना है तो करीब साढ़े तीन लाख करोड़ डॉलर की जरूरत पड़ेगी। वहीं इसी रकम को 2070 तक देखें तो करीब 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत को बड़े फंड की होगी जरूरत
ऐसे में इस सेक्टर पर खास फोकस किया जा रहा है जिसके लिए इस क्षेत्र में सरकार लगातार सुधार करने की दिशा में एड़ी-चोटी एक कर रही है। इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर जो सुधार होने है उसके लिए भी भारत को एक बड़े फंड की आवश्यक्ता होगी। बताना चाहेंगे कि इस सेक्टर में फंडिंग के लिए रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन काम करती है, या यूं कहें कि यह भारत सरकार की एक ऐसी कंपनी है जो इस सेक्टर में फाइनेंस का काम करती है। ये कंपनी इस दिशा में कार्य कर रही है।
ऊर्जा क्षेत्र का क्या है भविष्य ?
यदि देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है तो भारत अपनी नीतियों को लेकर सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस संबंध में ऊर्जा क्षेत्र में गहरी समझ रखने वाले एक्सपर्ट ग्रामीण विद्युत निगम लिमिटेड (आरईसी) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक विवेक कुमार देवांगन भी ऐसा ही बताते हैं। उन्होंने कहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ पावर की लीडरशिप में आरईसी देश के विकास में तत्पर है।
2047 में विकसित भारत की कर रहे परिकल्पना
उन्होंने कहा, खासतौर से 2047 में हम विकसित भारत की परिकल्पना कर रहे हैं। इस दिशा में आरईसी 1969 से कार्यरत भारत सरकार का सबसे बड़ा और सबसे पुराना सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। लगभग 53 वर्ष में आरईसी ने उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की है। पिछले तीन वर्षों में आरईसी का नेट प्रॉफिट, प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 10 हजार करोड़ से ज्यादा का हो चुका है और पिछले वर्ष हमारा नेटवर्थ लगभग 51 हजार करोड़ हो चुका है।
गौरतलब हो, अभी हाल ही में आरईसी को महारत्ना स्टेटस भी मिला है। यह स्टेटस उन कंपनियों को दिया जाता है जिनका नेट प्रॉफिट पिछले तीन वर्ष से 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रहा हो और जिनका नेटवर्थ पिछले तीन वर्षों में 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रहा है। आरईसी को महारत्न स्टेटस मिलने के बाद ऑपरेशनल और फाइनेंशियल ऑटोनरी बढ़ जाती है जिसमें यह किसी विशेष प्रोजेक्ट में लगभग 5 हजार करोड़ तक का विशेष खर्च कर सकती है। साथ ही साथ पर्सनल ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना अलग से कार्यक्रम लागू कर सकते हैं और हमारे इंटरनेशनल फुटप्रिंट पड़ सकते हैं।