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Tuesday, December 16, 2025


नवरात्रि के प्रथम दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए विधि

मां देवी की उपासना का पर्व है नवरात्रि। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहतेहैं।

पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा

आज नवरात्र का पहला दिन है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। यह मां पार्वती का ही अवतार है। दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने के बाद सती योगाग्नि में भस्म हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पर्वत की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक को मूलाधार चक्र जाग्रत होने से प्राप्त होने वाली सिद्धियां हासिल होती हैं।

ऐसे करें शैलपुत्री देवी की पूजा

नवरात्र के प्रथम दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापन करें। कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें। कलश स्थापन के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें। संभव हो, तो नदी की रेत रखें। फिर जौ भी डालें। इसके उपरांत कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें। फिर ‘ॐ भूम्यै नमः’ कहते हुए कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें।

अब कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए ‘ॐ वरुणाय नमः’ कहें और जल से भर दें। इसके बाद आम का पल्लव या पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकड़ में से किसी भी वृक्ष का पल्लव कलश के ऊपर रखें। तत्पश्चात् जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें। अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें। हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें। इसके बाद ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते। मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें।

कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!’ से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें। मनोविकारों से बचने के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर का फूल भी चढ़ा सकती हैं। मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अथवा वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्। मंत्र का जाप करें।

नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के रूप में भगवती दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन से होती हैं। इस दिन माता को घी से बनी चीजें चढ़ाएं। इस उपाय से रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। मनोविकारों से बचने के लिए मां शैलपुत्री को सफेद कनेर का फूल भी चढ़ा सकते हैं। इनकी पूजा में लाल पुष्प का प्रयोग उत्तम माना गया है।

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