हिन्दू पंचांग के अनुसार आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। आज के दिन देवी स्कंदमाता की विधवत पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि पंचमी तिथि के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करने से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते है।
भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद कुमार भी है। इसलिए शास्त्रों में देवी के स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि हर समय भगवान स्कंद बालरूप में उनकी गोद में विराजमान रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की उपासना करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और उनकी सभी कामना पूर्ण हो जाती है।
पूजा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि का शुभारंभ 25 मार्च को दोपहर 02 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। इस दिन रवि योग दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 27 मार्च को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
देवी स्कंदमाता पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार देवी स्कंदमाता की पूजा के समय साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की उपासना करें और फिर देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए स्कंदमाता की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें। ऐसा करने के बाद देवी को गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें और उन्हें केले का भोग अवश्य चढ़ाएं।
देवी स्कंदमाता का स्वरूप
देवी पुराण में बताया गया है स्कंदमाता देवी की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन सिंह है। उनके दाएं बुझाओं में स्कंद अर्थात कार्तिकेय हैं और कमल का पुष्प है। वहीं बाएं भुजा में वरदमुद्रा और एक कमल का पुष्प है। इनका आसन कमल है, इसलिए इन्हें पद्मासन भी कहा जाता है।