रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सल ऑपरेशन चलाये जाने से नक्सली भयभीत हैं। माआवोदी संगठन के शीर्ष नेताओं के नक्सल मुठभेड़ में मारे जाने और सरेंडर करने से उनका संगठन लगातार कमजोर हो रहा है। ऐसे में नक्सलियों ने आज मंगलवार को एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि वो हथियार बंद संघर्ष को अस्थायी रूप से छोड़कर शांति वार्ता को तैयार हैं। माआवोदियों ने सरकार से सीजफायर करने की अपील की है। सीपीआई (माओवादी) ने कहा कि देश के कई राज्यों में जेल में बंद साथियों से चर्चा करने के लिये सरकार अनुमति दें। वहीं पुलिस भी एक महीने के लिये ऑपरेशन रोकें।
दूसरी ओर इस मामले में प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि पत्र की सत्यता की जांच करानी होगी। नक्सलवाद के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेगा। यदि नक्सली बंदूक त्यागकर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सरेंडर नक्सलियों के लिए राज्य में नियदनेल्लानार, पुनर्वास समेत कई सारी योजना चला रही है। ऐसे में नक्सली बंदूक छोड़कर सामने आएंगे, तो सरकार उनके साथ शांतिवार्ता के लिये पहल करेगी।
माओवादी संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय का प्रेस नोट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें उसका कहना है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। संगठन हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से छोड़कर जनसमस्याओं के समाधान के लिए जन संघर्ष को आगे बढ़ाएगा। हथियार छोड़कर देश की राजनैतिक पार्टियों और संघर्षरत संस्थाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। बदलते हालात और देश की परिस्थितियों को देखते हुए वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं पर इस प्रक्रिया में वो अपनी विचारधारा और राजनीतिक मान्यताओं से पीछे नहीं हटेंगे। मार्च 2025 में संगठन के जारी प्रेस नोट का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने इससे पहले भी संघर्ष विराम और शांति वार्ता की पेशकश की थी, लेकिन उस दौरान ठोस माहौल नहीं बनाया गया। सरकार और सुरक्षा बल यदि वास्तव में शांति चाहते हैं तो हमारे साथियों पर दमनात्मक कार्रवाई बंद कर विश्वसनीय वातावरण बनायें। हमारे शीर्ष नेतृत्व, कैडर और जेल में बंद सदस्यों को वार्ता प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाए। यदि उनकी शर्तों को माना गया और प्रतिनिधियों को शामिल किया गया तो वे हथियार छोड़कर वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार हैं। नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2025 मार्च आखरी सप्ताह से हमारी पार्टी सरकार के साथ ‘शांति वार्ता’ के लिए गंभीर एवं ईमानदारी के साथ प्रयास कर रही है। हमारी पार्टी के केंद्रीय कमेटी का प्रवक्ता कामरेड अभय के नाम पर मई 10 को स्वयम हमारी पार्टी के महासचिव एक प्रेस बयान जारी किया था। उसमें उन्होंने हमारी पार्टी हथियार छोड़ने के बारे में उल्लेख करते हुए इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर हमारी पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्वकारी कामरेडों के साथ सलाह मशविरा करने के लिए एक माह के समय की मांग करते हुए सरकार के सामने सीज फायर का प्रस्ताव रखा था, लेकिन दुर्भाग्यवश उस पर केंद्र सरकार अपनी सानुकूल रूख को जाहिर नहीं किया था, बल्कि जनवरी 2024 से जारी अपनी घेराव और उन्मुलन सैनिक हमलों को और तेज किए हैं।
पत्र आगे लिखा है कि हजारों की संख्या में सशस्त्र पुलिस बल तैनात कर घेराव एवं उन्मूलन हमले को अंजाम दिया गया। माड के गुंडेकोट के पास 21 मई को हुए भीषण हमले में साहसिक रूप से प्रतिरोध करते हुए हमारी पार्टी के महासचिव कामरेड बसवाराजू सहित केंद्रीय कमटी के स्टाफ एवं उनके सुरक्षा गार्ड के 28 साथी शहीद हुए। इस परिप्रेक्ष्य में उनसे पहले किए गए शांति वार्ता की प्रक्रिया को बीच में आधा अधूरा न छोड़कर उनके विचारों के अनुरूप शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए हमनें यह निर्णय लिया है। इससे पहले भी माओवादी संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय और अन्य ने शांति वार्ता के लिये कई बार लेटर लिख चुके हैं। बड़ी बात ये है कि हर बार नक्सली कोई न कोई शर्त सरकार के सामने रखते हैं। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार नक्सलियों की किसी भी शर्त के आगे झुकने को तैयार नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों को हथियार छोड़ने के लिए अपील की थी। ऐसा नहीं किये जाने पर फोर्स के मुंहतोड़ जवाब के लिये तैयार रहने की चेतावनी दी थी। शाह ने संकल्प लिया है कि मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत देश को नक्सलमुक्त कर दिया जायेगा। वहीं राज्य सरकार के गृहमंत्री शर्मा ने भी कई बार नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की बात कही है। छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त राज्य बनाने के लिये सुरक्षा बलों की ओर से लगातार नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। ताबड़तोड़ ऑपरेशन जारी है। इसका असर माओवादी संगठन पर देखने को मिल रहा है। सफल ऑपरेशनों से भयभीत होकर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। हाल ही में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी मेंबर सुजाता ने तेलंगाना में सरेंडर किया था।
ऑपरेशन से घबराये नक्सली; कहा- हथियार छोड़कर बातचीत को तैयार, रखी शर्त-सीजफायर करे सरकार
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