23.2 C
Dehradun
Friday, November 22, 2024

पहाड़ी लोकपर्व इगास आज, जाने दीपावली के 11 दिन बाद क्यों मनाया जाता है…

उत्तराखण्ड में सदियों से चले आ रहे इगास-बग्वाल की परम्परा उत्तराखण्ड वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आपको बताया दे कि सदियों से गढ़वाल में दीपावली को बग्वाल के रूप में मनाया जाता है। जबकि दीपावली (बग्वाल) के ठीक 11 दिन बाद गढ़वाल में एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे ईगास कहा जाता है।

दीपावली से 11 दिन बाद आने वाली एकादशी को इगास मनाया जाता है। इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाये जाते हैं जबकि रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है। दीपावली के 11 दिन बाद इगास पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
एक पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान राम 14 वर्ष बाद लंका विजय कर अयोध्या पहुंचे तो लोगों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया और उसे दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया। लेकिन कहा जाता है कि गढ़वाल क्षेत्र में लोगों को इसकी जानकारी 11 दिन बाद मिली। इसलिए यहां पर दीपावली के 11 दिन बाद यह दीवाली (इगास) मनाई जाती है।

वहीं दूसरी और सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार गढ़वाल के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी टिहरी के राजा महीपति शाह की सेना के सेनापति थे। करीब 400 साल पहले राजा ने माधो सिंह को सेना लेकर तिब्बत से युद्ध करने के लिए भेजा। इसी बीच बग्वाल (दीपावली) का त्यौहार भी था, परन्तु इस त्यौहार तक कोई भी सैनिक वापिस ना आ सका। सबने सोचा माधो सिंह और उनके सैनिक युद्ध में शहीद हो गए, इसलिए किसी ने भी दीपावली (बग्वाल) नहीं मनाई। परन्तु दीपावली के ठीक 11वें दिन माधो सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत से दवापाघाट युद्ध जीत वापिस लौट आए।

कहा जाता है कि युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई थी। उस दिन एकादशी होने के कारण इस पर्व को इगास नाम दिया गया और उसी दिन से गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली के 11 दिन बाद इगास पर्व मनाया जाता है। इगास पर्व के दिन लोग घरों की लिपाई-पुताई कर पारम्परिक पकवान बनाते है। गाय-बैलों की पूजा की जाती और रात को पूरे उत्साह के साथ गाँव में एक जगह इकठ्ठे होकर भैलो खेलते। भैलो का मतलब एक रस्सी से है, जो पेड़ों की छाल से बनी होती है। इगास-बग्वाल के दिन लोग रस्सी के दोनों कोनों में आग लगा देते हैं और फिर रस्सी को घुमाते हुए भैलो खेलते हैं।

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

कोलकाता से पटना जा रही बस हजारीबाग में हादसे का शिकार; सात लोगों की...

0
पटना: झारखंड के हजारीबाग जिले में पटना जा रही एक बस के पलट जाने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई...

आठ दिन बाद एक बार फिर बेहद खराब श्रेणी में दिल्ली की हवा, छह...

0
नई दिल्ली: राजधानी में मौसमी दशाओं के बदलने से वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। गुरुवार को आठ दिन बाद हवा...

कंपनी गार्डन अब अटल उद्यान के नाम से जाना जाएगा

0
मसूरी। मसूरी में नगर पालिका परिषद द्वारा कंपनी गार्डन के नए नाम अटल उद्यान पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम...

विश्वविद्यालय के हाथों में होगी समर्थ पोर्टल की कमानः डॉ. धन सिंह रावत

0
श्रीनगर/देहरादून। उच्च शिक्षा विभाग में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश को लेकर सामने आई दिक्कतों को मध्यनज़र रखते हुये समर्थ पोर्टल का संचालन...

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय खेल तैयारियों की हर सप्ताह समीक्षा करने के...

0
देहरादून। चारधाम यात्रा के सकुशल सम्पन्न होने के साथ ही प्रदेश सरकार, आगामी चारधाम यात्रा की तैयारी में जुट गई है। चार धाम यात्रा...