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Tuesday, February 4, 2025

उत्तराखंड: खेल-खेल में बच्चे के फेफड़े में फंसी गई थी सीटी, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

ऋषिकेश: एक 9 साल के बच्चे के फेफड़े में फंसी सीटी को बिना सर्जरी किए ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से निकालने में एम्स ,ऋषिकेश के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने खास सफलता पाई है। खेल-खेल में सीटी बजाते समय बच्चे के मुंह के रास्ते फेफड़े में जगह बना चुकी यह सीटी 6 दिनों से फंसी हुई थी। अब पूरी तरह से स्वस्थ होने पर बच्चे को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

मुरादाबाद उत्तर प्रदेश निवासी 9 वर्षीय एक बच्चे के बाएं फेफड़े में सीटी फंस जाने के कारण वह छह दिनों से खांसी और सांस लेने में हल्की तकलीफ से ग्रसित था। धीरे-धीरे उसकी यह परेशानी बढ़ने लगी। बीते सप्ताह इस बच्चे को लेकर उसके परिजन एम्स ऋषिकेश में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में पहुंचे, विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा ने एक्सरे और अन्य जांचों के बाद पाया कि बच्चे के बाएं फेफड़े में एक प्लास्टिक की सीटी फंसी है और उसकी वजह से फेफड़े की कोशिकाओं में सूजन बढ़ रही है।

दिनों से फंसी होने के कारण सीटी ने फेफड़े में अपना स्थान भी बना लिया था। बच्चे के परिजनों ने डॉ. मयंक को बताया कि अन्य बच्चों के साथ आपस में खेलते समय एक दिन जब बच्चा सीटी बजा रहा था, तो उस दौरान यह सीटी उसके मुंह से होती हुई फेफड़े में जा पहुंची। परिजनों ने बताया कि तभी से बच्चे की परेशानी शुरू हुई। बच्चे की स्थिति को देखते हुए चिकित्सक ने तत्काल बच्चे की ब्रोंकोस्कोपी करने का निर्णय लिया।

डॉ. मयंक ने बताया कि एनेस्थिसिया विभाग के डॉ. डी.के. त्रिपाठी के सहयोग से बच्चे की ब्रोंकोस्कोपी की गई और ऑपरेशन थिएटर में तकरीबन 45 मिनट की प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्चे के फेफड़े में फंसी सीटी को बेहद सावधानी से निकाल लिया गया। उन्होंने बताया कि बच्चे को अस्पताल लाने में यदि और ज्यादा दिन हो जाते तो उसकी हालत गंभीर हो सकती थी।

बताया कि चिकित्सीय निगरानी हेतु बच्चे को दो दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इस विषय में पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. गिरीश सिंधवानी ने बताया की इस तरह के बढ़ते मामलों के मद्देनजर परिजनों को खेलते हुए बच्चों के प्रति अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है, जिससे ऐसी दुर्घटना से बचा जा सके।एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने इस क्रिटिकल ब्रोंकोस्कोपी करने के लिए चिकित्सकों की टीम की प्रशंसा की है।

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