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Monday, July 14, 2025

राजस्थान में प्रचार से गायब वसुंधरा राजे

जयपुर। राजस्थान में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय नेता प्रचार के लिए राजस्थान के कई चक्कर काट चुके हैं। प्रदेश के सीएम भजनलाल शर्मा और दोनों उप मुख्यमंत्री भी सभी सीटों पर प्रचार के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। लेकिन प्रचार के शोर से राजस्थान का एक प्रमुख चेहरा गायब है। वह चेहरा कोई और नहीं प्रदेश की राजनीति की 25 सालों तक नुमाइंदगी करने वालीं वसुंधरा राजे का है। पिछले साल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जैसी सक्रियता दिखाई थी, वैसी लोकसभा चुनाव प्रचार में अभी तक नहीं देखने को मिल रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि आखिरी पूर्व वसुंधरा राजे कहां हैं? इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ जानकार इसे वसुंधरा की नाराजगी भी बता रहे हैं।
दरअसल, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम प्रदेश के स्टार प्रचारकों में भी शामिल है, लेकिन झालावाड़ सीट को छोड़कर प्रदेश में कहीं भी प्रचार करते नजर नहीं आ रही हैं। इस सीट से राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह चुनावी मैदान में हैं। प्रधानमंत्री मोदी अब तक प्रदेश में पांच चुनावी सभा और एक रोड शो कर चुके हैं। लेकिन राजे पीएम के किसी भी चुनावी कार्यक्रम में नजर नहीं आई हैं। हालांकि भाजपा के स्थापना दिवस छह अप्रैल को राजे दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में मौजूद थीं। इस दौरान उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेताओं के साथ मुलाकात भी की थी। लेकिन प्रदेश के पहले चरण का प्रचार थमने के बाद प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि आखिरी राजे प्रचार से क्यों दूर हैं? क्या वे केवल अपने बेटे की सीट तक सिमट कर रह गई हैं?
राजस्थान में जब 2023 में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। तब शुरुआती दौर में राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कुछ ठीक नहीं था। लेकिन बाद में राजे की नाराजगी को दूर करने के लिए उनकी सलाह को तवज्जो दी गई। इसके बाद राजे ने विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया था। वे पीएम मोदी के साथ कई बार मंच पर नजर भी आई थीं। प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को प्रदेश का सीएम बना दिया गया। इसके बाद से ही राजे पार्टी से अंदरखाने नाखुश चल रही हैं। हालांकि खुलकर उन्होंने कभी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जाहिर नहीं की। वे प्रदेश भाजपा के कई कार्यक्रमों और बैठकों से गैरहाजिर रहीं। लोकसभा टिकट वितरण के समय वो फिर कुछ दिनों से एक्टिव हुईं, लेकिन टिकट बंटवारे के बाद फिर शांत हो गईं। बीते दिनों झालावाड़ में हुई जेपी नड्डा की रैली के अलावा राजे की उपस्थिति अन्य किसी बड़े मंच पर नहीं दिखी थीं। हालांकि इस बीच दिल्ली में भाजपा मेनिफेस्टो कमेटी की बैठक में वसुंधरा शामिल हुईं थीं।
पूर्व सीएम राजे के पास फिलहाल सरकार में कोई पद नहीं है। वह एक सामान्य विधायक हैं। लोकसभा चुनाव में भी राजे के प्रचार प्रसार का कार्यक्रम पार्टी की ओर से जारी नहीं किया जा रहा है, जबकि अन्य नेताओं के कार्यक्रम पार्टी की ओर से जारी किए जा रहे हैं। स्टार प्रचारक होने के बावजूद अभी तक राजे का कोई कार्यक्रम झालावाड़ से बाहर का नहीं बना है। प्रदेश भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि सियासी गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि राजे के प्रचार से दूर रहने पर पार्टी को फायदा होगा या नुकसान, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को कोई नुकसान के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

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