इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2021 दुनिया भर में ‘पारिस्थितिकी तंत्र/ प्रकृति संरक्षण” की थीम के साथ मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य हर महाद्वीप और हर महासागर में प्रकृति/पारिस्थितिकी तंत्र के पतन को रोकना है. इस थीम में योगदान देते हुए भारत का फिल्म प्रभाग, 5 और 6 जून, 2021 को “प्रकृति के संग : पर्यावरण पर फिल्मोत्सव” की ई-स्क्रीनिंग करने जा रहा है.
“प्रकृति के संग” की 2 दिवसीय विशेष स्क्रीनिंग में ऐसी छह फिल्में शामिल होंगी, जो पर्यावरण का पुनर्जीवित करने और प्रकृति के सह-अस्तित्व को फिर से परिभाषित करने का मजबूत संदेश देती हैं. इन फिल्मों में मानव और प्रकृति के अविभाज्य संबंध का पुनरुत्थान करने के लिए विभिन्न तरीकों का सुझाव दिया गया है. यह ई-स्क्रीनिंग फिल्म प्रभाग की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर की जाएगी.
हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस
हर वर्ष पर्यावरण के मुद्दों के बारे में आम लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. यह विभिन्न समाज और समुदायों के आम लोगों को पर्यावरण सुरक्षा उपायों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसका लक्ष्य लोगों को सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक समृद्ध भविष्य का आनंद लेने के लिए अपने आस-पास के परिवेश को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिए प्रेरित करना है. इस दिन सरकारों एवं उद्योगों को टिकाऊ और मददगार विकल्प ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
‘पारिस्थितिकी तंत्र/ प्रकृति संरक्षण’ है इस साल की थीम
विश्व पर्यावरण दिवस के प्रत्येक वर्ष की एक विशिष्ट थीम होती है. पिछले वर्षों के विषयों में जैव विविधता, वायु प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण जैसे विषयों पर चर्चा शामिल है. विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम ”पारिस्थितिकी तंत्र/ प्रकृति संरक्षण” है. यह थीम मौजूदा प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने और नए पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगी. विश्व पर्यावरण दिवस 2021 पर, संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर अपना संयुक्त राष्ट्र दशक भी शुरू करेगा.
वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र ने आयोजित किया था ‘स्टॉकहोम सम्मेलन’
वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बुलाई गई पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर पहला बड़ा सम्मेलन, स्टॉकहोम (स्वीडन) में 5 जून से 16 जून तक के लिए आयोजित किया गया था. इसे स्टॉकहोम सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है. बाद में उसी वर्ष, 15 दिसंबर को, महासभा ने एक रेसोल्यूशन के तहत 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में अपनाया. इसके बाद, 1974 से विश्व पर्यावरण दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाने लगा ताकि मानव जीवन में स्वस्थ और हरित पर्यावरण के महत्व को बढ़ाया दिया जा सके और सरकार एवं संगठनों द्वारा कुछ सकारात्मक पर्यावरणीय क्रियाओं को लागू करके पर्यावरण के मुद्दों को हल किया जा सके.
हर साल अलग-अलग देश करते हैं मेजबानी
1987 में इसके मेजबान को बदलते रहने का सुझाव प्रस्तावित किया गया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है. हर वर्ष 143 देश इसका हिस्सा बनते हैं और इसके अलावा इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यवसायिक लोग शामिल होकर पर्यावरण संबंधी समस्याओं के बारे में विचार विमर्श करते हैं. इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस का वैश्विक मेजबान पाकिस्तान है. इससे पहले, 2020 में इसकी मेजबानी कोलंबिया ने की थी.
कोविड महामारी के कारण चिकित्सीय अपशिष्ट के बोझ में हुई वृद्धि
कोविड महामारी के वैश्विक प्रकोप ने मानव जीवन और दैनिक गतिविधियों को जरूर प्रभावित किया है, लेकिन इसने वायु की गुणवत्ता में सुधार किया है. अधिकांश शहरों में लॉकडाउन रहने के कारण कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है. हालांकि महामारी के दौरान कीटाणुनाशक, मास्क, दस्ताने जैसे चिकित्सीय अपशिष्ट का बोझ कई गुना बढ़ गया है. इसके निदान के लिए भारतीय वैज्ञानिक पूरी कोशिश कर रहे हैं.
वैश्विक पर्यावरणीय स्थिरता के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य और नीतियों के उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता
आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है. यही नहीं, बढ़े हुए वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कारण हमें अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरणीय समस्याएं मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन बहुत आवश्यक हो गया है. वैश्विक पर्यावरणीय स्थिरता के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य और रणनीतियों और नीतियों के उचित क्रियान्वयन की आवश्यकता है.