नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह-अकुशल वाहन चालक पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्र सरकार ने उनके प्रशिक्षण के लिए तीन स्तरीय ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर की रूपरेखा बनाई है। केंद्र सरकार अपने स्तर पर राज्यों में मॉडल इंस्टीट्यूट आफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च स्थापित करेगी।
ये होंगी तीन कैटेगरी: पहली श्रेणी के इन संस्थानों में बुनियादी ढांचे का पूरा विकास केंद्र सरकार की मदद से किया जाएगा। दूसरी श्रेणी में क्षेत्रीय ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर होंगे, जो राज्यों के अलग-अलग जिलों में होंगे।
तीसरी श्रेणी में जिले के स्तर पर ऐसे केंद्र स्थापित होंगे। इनमें निर्धारित पाठ्यक्रम-सैद्धांतिक यानी नियम-कायदों की जानकारी और व्यावहारिक अर्थात वाहन चलाने के तौर-तरीके पूरा कर लेने के बाद प्रमाणपत्र मिलेगा और इसे हासिल करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस के लिए किसी तरह का टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी।
परिवहन मंत्रालय ने राज्यों को भेजा पूरा मसौदा: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को भेजे गए मसौदे में तीनों स्तर पर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना का पूरा खाका बताए जाने के साथ ही प्रशिक्षण का मॉड्यूल भी निर्धारित किया गया है। इसमें यह अपेक्षा भी की गई है कि हल्के और भारी वाहनों के ड्राइवर सिर्फ वाहन चलाने के कौशल से ही लैस न हों, बल्कि उन्हें सड़क पर चलने का सलीका-तरीका सीखने के साथ ही ऐसे व्यवहार के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए जो मानसिक तनाव से निपटने में मददगार हो।
देश में 30 लाख से ज्यादा प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी: उदाहरण के लिए बड़े शहरों में भीड़भाड़ के क्रम में रोड रेज यानी सड़क पर मारपीट की बढ़ती घटनाओं के प्रति भी उन्हें सचेत किया जाएगा। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में इस समय 30 लाख से अधिक प्रशिक्षित वाहन चालकों की कमी है।
समस्या केवल यही नहीं है कि पर्याप्त वाहन चालक नहीं हैं, बल्कि यह भी है कि जो हैं भी, वे बिना किसी संस्थागत प्रशिक्षण के केवल वाहन चलाना भर जानते हैं।
ड्राइविंग के लिए करना होगा जमीन का प्रबंध: चार साल पहले की एक रिपोर्ट के अनुसार 82 प्रतिशत मार्ग दुर्घटनाएं वाहन चालकों की गलती से होती हैं। माडल ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च की स्थापना के लिए राज्यों को अपनी ओर से प्रस्ताव भेजने होंगे। 10 से 15 एकड़ जमीन का प्रबंध उन्हें ही करना होगा। केंद्र सरकार की एक कमेटी उन्हें मंजूरी प्रदान करेगी।
इनकी स्थापना के लिए केंद्र की ओर से 17.25 करोड़ की एकमुश्त सहायता दी जाएगी। ऐसे संस्थान औसतन 2.5 करोड़ की आबादी के बीच स्थापित होंगे। उन राज्यों को प्राथमिकता मिलेगी जो अपने मोटर वाहन नियमों में संशोधन करके इनके प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाएंगे।
ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक होना जरूरी: इन संस्थानों में आटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का होना जरूरी है ताकि परीक्षा की प्रक्रिया में किसी गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे। बुनियादी ढांचे के रूप में में क्लास रूम, टीवी, डीवीडी, कंप्यूटर जैसी सामग्री, मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर की व्यवस्था की जाएगी।
मोटर वाहन नियमों के अनुसार भारी वाहन चालकों के लिए प्रशिक्षण की अवधि एक माह से कम नहीं होनी चाहिए। इसमें 15 घंटे तक की ड्राइविंग अवधि शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए नए संस्थानों में भारी वाहन चालकों के लिए 30 से 45 दिन का कोर्स होगा। इसमें 22 घंटे की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग शामिल है।
अनाड़ी ड्राइवरों की गलती से होती हैं 82 फीसदी दुर्घटनाएं, देशभर में ट्रेनिंग सेंटर खोलकर सरकार देगी प्रशिक्षण
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