कोरोना की मार और लॉकडाउन के बावजूद प्लेसमेंट का शानदार कीर्तिमान बनाने वाले ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि रणनीति बनाकर भविष्य संवारने के लिए लॉकडाउन का फायदा उठाया जा सकता है.
डॉ. कमल घनशाला आज बागेश्वर निवासी बीटेक कम्प्यूटर साईंस इंजीनियरिंग के छात्र दीपक सिंह रौतेला को पुरस्कार प्रदान करने के बाद विचार व्यक्त कर रहे थे. दीपक को दुनिया की प्रमुख कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट में 40.34 लाख रुपये का पैकेज मिलने पर आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी परिसर में एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया. दीपक सिंह रौतेला के पिता श्री हरीश सिंह रौतेला और मां श्रीमती आशा रौतेला को भी डॉ. घनशाला ने सम्मानित किया. डॉ. घनशाला ने कहा कि मां हर बच्चे की प्रथम शिक्षक होती है. घर परिवार से मिले संस्कार बच्चों की कामयाबी की बुनियाद बनते हैं. लॉकडाउन के दौरान बीटेक कम्प्यूटर साईंस की ही मैत्री रावत को गूगल में 54.80 लाख रुपये का पैकेज मिलने के साथ ही कुल मिलाकर 1450 से अधिक छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट के ऑफर मिलने के कारणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में घर से बाहर न निकलने की विवशता को जिन युवाओं ने एक अवसर की तरह लिया और पढ़ायी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ज्यादा समय दिया, उन्हें कामयाबी मिली है.
उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर के कारण लॉकडाउन शुरू होते ही ग्राफिक एरा ने रणनीति बनाकर ऑनलाइन कक्षाओं से लेकर परीक्षाओं तक की मुकम्मल व्यवस्था की और छात्र-छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्चुअल प्लेसमेंट के इंतजाम किए. इसके बेहतरीन नतीजों के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों के जरिये छात्र-छात्राओं की विपरीत परिस्थितियों में पहले से कहीं अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तैयार किया गया. कई तकनीकों का उपयोग करके इस तरह व्यवस्था की गई कि छात्र-छात्राओं की ऊर्जा और क्षमताओं को उभारा जाए तथा उन्हें प्रतिस्पर्धा के दौर में आगे आकर भविष्य संवारने के सर्वोत्तम अवसर मिलें. इसी के परिणाम शानदार प्लेसमेंट के रूप में सामने आये हैं.
माइक्रोसॉफ्ट में 40.34 लाख रुपये का पैकेज पाने वाले छात्र दीपक सिंह रौतेला ने डिग्री मिलने से भी पहले मिली इस कामयाबी के श्रेय खुद क्लास लेने वाले ग्राफिक एरा के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला के कठिन विषयों को बहुत सरल और सहज तरीके से पढ़ाने, विशेषज्ञ शिक्षकों के निर्देशन और विश्वविद्यालय की शिक्षा के स्तर के साथ ही अपने अभिभावकों को दिया. दीपक की मां श्रीमती आशा रौतेला ने बताया कि बेटे को देहारादून भेजने के कुछ ही समय बाद वह परिवार के साथ देहरादून आकर रहने लगी थीं ताकि दीपक को पढ़ायी में कोई परेशानी न हो.