उत्तराखंड के चमोली जिले से बड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. जिसके वजह से डीएम चमोली स्वाति एस भदौरिया सोशल मीडिया लगातार चर्चाओं में हैं. दरसअल मामला होमगार्ड के सस्पेंशन से जुड़ा हुआ है. दरअसल डीएम बंगले के पास बने शहीद पार्क में ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड के जवान को डीएम ने 3 साल के लिए सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए हैं. आरोप है कि होमगार्ड के जवान ने कोरोना गाईडलाईन का पालन करवाते हुए डीएम के बच्चे को पार्क में जाने से रोका था.
यह पूरा मामला अप्रैल महीने का बताया जा रहा है ,जब सार्वजनिक पार्कों में कोरोना की गाईडलाईन के कारण प्रवेश वर्जित किया गया था. डीएम आवास के ठीक सामने बने पार्क में कोई प्रवेश न करें इसको लेकर एक होमगार्ड के जवान की तैनाती भी पार्क के बाहर की गई थी.लेकिन पार्क के बाहर ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड के जवान को डीएम के बच्चे को पार्क में जाने से रोके जाने पर 3 साल तक ड्यूटी से हाथ धोना पड़ गया.अब नौकरी से बेदखल होमगार्ड का जवान दफ्तरों की चौखट पर अपनी बहाली की गुहार लगा रहा है.पीड़ित होमगार्ड जवान का कहना है कि उसे अपनी ड्यूटी निष्ठा से करने की सजा मिली है.
अगर उसे पता होता कि डीएम के बच्चे को पार्क में जाने से रोकने पर डीएम उसे नौकरी से हटा देगी तो वह कभी भी ऐसा नही करता,कहना है कि ड्यूटी पर नही होने के कारण उसे घर चलाने के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
वहीं इस मामले में डीएम चमोली स्वाति भदौरिया का कहना है कि 05 अप्रैल को कोई कोविड कर्फ़्यू नहीं था. ऐसे में किसी के भी बच्चे को पार्क में जाने से क्यों रोका गया. पार्क में जाने से जिस बच्चे को रोका और डंडे से पीटा गया वो उनका यानी कि जिलाअधिकारी का बच्चा नही था किसी और का बच्चा था और उस समय पार्क में जाने पर कोई रोकटोक नही थी. जिलाधिकारी ने होमगार्ड को जो आदेश जारी किया है उसमें 5 अप्रैल,2021 की तिथि अंकित है. उन्होंने बताया 9 मई 2021 से राज्य सरकार ने कोविड कफ्र्यू की गाइड लाइन जारी हुई थी. उन्होंने बताया कि यह जिलाधिकारी के कार्यक्षेत्र का मामला है. डीएम ने बताया कि होमगार्ड को लिखित आदेश जारी किया था कोई मौखिक आदेश नही था. अगर होमगार्ड को आपत्ति थी तो उन्हें अपील में जाना चाहिए था. इस मामले को 3 महीने बाद क्यों उठाया जा रहा है.
उधर चमोली होमगार्ड के असिस्टेंट कमांडेंट द्वारा खुद स्वीकार किया गया कि उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं थी, तथा केवल निलंबित जवान के पत्र के आधार पर ही बाइट दी गई. वे उस समय स्वयं कुंभ ड्यूटी पर हरिद्वार तैनात थे.फाइल देखने पर इन्होंने ने तत्काल अपनी बाइट का खंडन किया है. एक अतिरिक्त तथ्य भी इन्होंने बताया कि पूर्व में भी निलंबित होमगार्ड के विरुद्ध धारा-60 आबकारी अधिनियम अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया था, जिस कारण उस समय भी इन्हें ससपेंड किया गया था.