देहरादून: स्कूल में बच्चों की सुरक्षा बहुत ही जरूरी होती है। विशेषकर उन बच्चों की स्कूलो में सुरक्षा जरूरी होती है जो बच्चे कम उम्र के होते हैं। अक्सर हम देखते हैं कि मां-बाप प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को बहुत ही कम उम्र में दाखिला दिलवा देते हैं जिससे छोटे बच्चों की स्कूल में देखरेख होना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि छोटे बच्चे बहुत ही नासमझ होते हैं।
वही उत्तराखंड में अब विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए सभी स्कूली बस व वैन में जीपीएस लगाया जाएगा। इससे यह पता चल सकेगा कि स्कूल बस व वैन किस रास्ते पर जा रहे हैं और इन्हें पूरे सफर में कितना समय लग रहा है। परिवहन मंत्री ने इसके लिए सचिव शिक्षा को सभी स्कूलों में दिशा-निर्देश भेजने को कहा है। प्रदेश में इस समय तकरीबन पांच हजार से अधिक स्कूली बस और तकरीबन इतनी ही संख्या में वैन संचालित हो रही हैं। कोरोना के कारण अभी इनका बहुत अधिक संचालन नहीं हो रहा था। अब जैसे-जैसे स्कूल खुल रहे हैं, बसों व वैन का संचालन शुरू हो रहा है। स्कूली बसों को टैक्स में कुछ छूट भी दी जाती है। देखने में यह आया है कि कई बार स्कूली बसों व वैन आफ रूट हो जाती हैं। यानी विभाग से छूट लेने के बाद इन वाहनों का प्रयोग व्यवसायिक रूप में भी किया जाता है।
इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूली बसों व वैन में विद्यार्थियों के साथ बदसलूकी की घटनाएं सामने आई हैं। इससे अभिभावकों की चिंता बढ़ने लगी है। इसे देखते हुए इन वाहनों पर जीपीएस लगाए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, ताकि उन पर नजर रखी जा सकेगी। अब सरकार ने वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य करने का निर्णय लिया है।
प्रस्तावित योजना के अनुसार जिन वाहनों में जीपीएस लगाए जाएगा, उन्हें परिवहन विभाग के साफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा। जरूरत पड़ने पर स्कूलों को भी इस सर्वर का लिंक दिया जाएगा ताकि वे भी वाहनों की सही स्थिति पर नजर रख सकें। परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने विद्यालय शिक्षा सचिव को निर्देश दिए हैं कि छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी स्कूली वाहनों में जीपीएस लगाया जाए।