आज नवरात्रि का चौथा दिन है। देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा का अर्थ होता है –कुम्हड़ा, जिसे आम भाषा में हम कद्दू या पेठा कहते हैं और जिसकी घर में हम सब्जी भी बनाते हैं। नवरात्र के दौरान देवी मां को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। साथ ही परिवार में खुशहाली के लिये, अच्छे स्वास्थ्य के लिए और यश, बल तथा लंबी उम्र की प्राप्ति के लिये आज के दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करना चाहिए ।
अष्टभुजाओं वाली माँ…
आठ भुजाएँ होने के कारण कूष्माण्डा को अष्टभुजाओं वाली माँ भी कहा जाता है। माँ कूष्माण्डा सिंह की सवारी करती है तथा उनके हाथों में शस्त्र सजे हैं। देवी कूष्माण्डा इस जगत के प्रत्येक प्राणी को ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही अपने भक्तों को खुशहाल और समृद्ध जीवन जीने का आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं। अगर आप किसी भी तरह की समस्या में हैं या फिर बुरे दौर से गुजर रहे हैं तो देवी कूष्माण्डा की पूजा करें। माता कूष्माण्डा के आर्शीवाद से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे।
माँ की पौराणिक कथा…
एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही देदीप्यमान हैं। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं।इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। आज के दिन यदि आप मां कूष्मांडा की उपासना करने जा रहे हैं तो सबसे पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान करें।
मां के मंत्रो का जाप करें…
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।