नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद देशभर में राजनीतिक और कानूनी हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की तरफ से महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील नलिन कोहली ने इस मामले को “बेहद गंभीर” बताया और कहा कि इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।
बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा, ‘किसी जज के घर पर जलती हुई नकदी का मिलना बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मामला है। समाज की भी यह उम्मीद है कि पूरी सच्चाई सामने आए।’ उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने इस मामले की आंतरिक जांच के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंप दी है।
नलिन कोहली ने कहा कि अब दो अहम कदम उठाए जाने की जरूरत है। पहला क्या जस्टिस वर्मा को संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत हटाने की प्रक्रिया (महाभियोग) शुरू होनी चाहिए? दूसरा क्या उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू होनी चाहिए? उन्होंने कहा कि जब बात भ्रष्टाचार की हो, तो लोकतंत्र के चारों स्तंभ – कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया – सभी को जांच की जरूरत समझनी चाहिए। वहीं पंजाब सरकार के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा, ‘अगर जज यशवंत वर्मा भ्रष्टाचार में शामिल हैं, तो उनके खिलाफ आम नागरिकों की तरह ही कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। यह सिर्फ महाभियोग का मामला नहीं, बल्कि आपराधिक मामला भी है।’ चीमा ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे इस पर सख्त कदम उठाएं।
सीपीआई के सांसद पी. संतोश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे इस मुद्दे पर सांसदों के जरिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करें। वहीं सीपीआई महासचिव डी. राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी इस कार्रवाई का समर्थन करेगी ताकि न्यायपालिका की साख को फिर से स्थापित किया जा सके।
महाभियोग संसद की तरफ से किसी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज को पद से हटाने की एक संवैधानिक प्रक्रिया है। इसमें, संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) के सांसद महाभियोग प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। प्रस्ताव पास होने के लिए सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत और मौजूद सदस्यों का दो-तिहाई समर्थन चाहिए। इसके बाद राष्ट्रपति जज को पद से हटा सकते हैं। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुमपारा ने याचिका दाखिल कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। लेकिन जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि, ‘पहले प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को लिखित अनुरोध करें। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करें।’ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें भी जांच समिति की रिपोर्ट की जानकारी नहीं है और रिपोर्ट फिलहाल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास है। 4 मई को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई संजय खन्ना को जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। 8 मई को सुप्रीम कोर्ट की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि रिपोर्ट प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेज दी गई है। हालांकि अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
जज यशवंत वर्मा के घर से नकदी बरामदगी पर सियासी तूफान
Latest Articles
एनआईए ने दाखिल की 1597 पन्नों की चार्जशीट, पाकिस्तानी आतंकी संगठन LeT और TRF...
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले के मामले में सात आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इसमें...
गोवा नाइट क्लब अग्निकांड: लूथरा बंधुओं को लाया जाएगा भारत, एयरपोर्ट पर उतरते ही...
नई दिल्ली। गोवा के नाइट क्लब में आग लगने की घटना के बाद देश छोड़कर फरार हुए लुथरा बंधुओं को मंगलवार को थाईलैंड से...
हुसैनीया पैलेस में PM मोदी का स्वागत, किंग अब्दुल्ला संग द्विपक्षीय मुद्दों पर की...
अम्मान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन देशों के दौरे के क्रम में जॉर्डन पहुंच चुके हैं। पहले जहां एयरपोर्ट पर जॉर्डन के पीएम जाफर...
आपदा प्रबंधन विभाग के कार्मिक भी बनेंगे फर्स्ट रिस्पांडर
देहरादून। उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ एवं प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत आपदा प्रबंधन विभाग...
25 वर्षों में उत्तराखंड को देश के सर्वाधिक प्रगतिशील और समृद्ध राज्यों में शामिल...
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित होटल हयात सेंट्रिक में एक न्यूज चैनल द्वारा आयोजित ‘डायमण्ड स्टेट समिट’ में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम...
















