देहरादून। उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में देवभूमि उद्यमिता योजना युवा सपनों की तासीर बदल रही है। राज्य सरकार की पहल पर शुरू की गई इस योजना के माध्यम से उच्च शिक्षण संस्थानों में उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है। जिससे छात्र-छात्राओं की व्यावसायिक सोच विकसित हो रही है। योजना के तहत अब तक 26247 छात्र-छात्राओं ने अपना पंजीकरण कराया है जबकि प्रशिक्षण के उपरांत 965 छात्रों ने अपने उद्यम स्थापित कर मुनाफा भी कमाना शुरू कर दिया है। नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुये राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में देवभूमि उद्यमिता योजना शुरू की। जिसका मकसद राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को स्टार्टअप और उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ाना था। योजना के तहत 124 उच्च शिक्षण संस्थानों में देवभूमि उद्यमिता केन्द्र स्थापित किये गये, जिनके माध्यम से छात्र-छात्राओं में व्यावसायिक सोच विकसित कर उनमें बिजनेस आइडिया और बाजार से जुड़ने से संबंधित जरूरी कौशल दिया जा रहा है। इसके अलावा युवाओं को प्रशिक्षण के साथ-साथ व्यवसाय शुरू करने के लिये सीड फंडिंग भी की जा रही है।
पिछले दो वर्षों में योजना के तहत अबतक 26247 छात्र-छात्राओं ने अपना पंजीकरण कराया है। इनमें से 14260 ने दो दिवसीय बूट कम्पों में भाग लिया, जबकि 8721 युवाओं ने 12 दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत अपनी किस्मत खुद लिखने की चाह रखने वाले 965 छात्रों ने अपने उद्यम स्थापित किये। जिनमें से 303 उद्यम खूब मुनाफा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं इन उद्यमों के 25 ऐसे उत्पाद हैं जो अमेजन, फ्लिपकार्ट और मीशो जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर खूब बिक रहे हैं। देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण वाले 60 उद्यमों के एफएसएसएआई लाइसेंस बन गये हैं और 30 से अधिक लाइसेंस बनने की प्रक्रिया में है। जबकि 8 उद्यमों ने ट्रेडमार्क लाइसेंसे के लिये अवेदन किया है। प्रदेश में देवभूमि उद्यमिता योजना युवा सपनों की तासीर बदलने में कामयाब हो रही है, और छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता और रोजगार सृजन की काबलियत पैदा कर रही है।
देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत प्रत्येक वर्ष 20 छात्र-छात्राओं को उनके बिजनेस आइडिया के लिये सीड फंडिंग की व्यवस्था है। जिसमें 20 छात्रों को उनके नवाचार आधारित स्आर्टअप को 75 हजार की धनराशि सीट फंड के तहत प्रदान की जायेगी। योजना के तहत 1132 से अधिक छात्रों ने अपने व्यवसायों का उद्यम आधार बना लिया है। योजना के तहत प्रत्येक महाविद्यालयों में 12 दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) आयोजित किये जा रहे हैं, जिनमें छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक सोच, उद्यम प्रबंधन, विपणन और वित्तीय नियोजन की बारीकियां सिखाई जा रही है। इसके अलावा छात्रों में स्टार्टअप और उद्यमिता के प्रति जागरूक पैदा करने के लिये दो दिवसीय बूटकैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। जहां वह अपने आइडिया विशेषज्ञों के सामने रखते और इनमें से श्रेष्ठ व्यावसायिक विचारों को सीड फंड के लिये चयनित किया जाता है। चौखुटिया (अल्मोड़ा) के दीपक सिंह नेगी के बुरांश, माल्टा व अन्य स्थानीय फलों से रेडी-टू-ड्रिंक जूस बनाने का आइडिया को योजना के तहत 75 हजार की सीड फंडिंग प्रदान की गई, साथ ही पैकेजिंग, ब्रांडिंग व मेंटरिंग का भी समर्थन दिया गया। आज उनकी फर्म ‘हर्बल हर्ट’ सफल उद्यम के रूप में स्थापित हो चुकी है और इसके तहत उन्होंने तीन अन्य युवाओं को भी रोजगार दिया है।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि देवभूमि उद्यमिता योजना प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही है। राज्य सरकार की ‘शिक्षा से उद्यमिता की ओर’ पहल का परिणाम है कि युवा रोजगार नहीं बल्कि रोजगार सृजक बन रहे हैं। इस योजना ने यह साबित कर दिया कि हमारे युवाओं को सही मार्गदर्शन, संसाधन और अवसर मिले तो वह वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।
युवा सपनों की तासीर बदल रही देवभूमि उद्यमिता योजना
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