नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि अंग प्रतिरोपण की प्रतीक्षा सूची में महिला मरीजों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, ताकि लैंगिक असमानता को दूर किया जा सके। इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया है कि अंग प्रतिरोपण की प्रतीक्षा कर रहे मृत दाताओं के करीबी रिश्तेदारों और संबंधियों को प्राथमिकता दी जाए।ये सुझाव स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (नोओटीटीओ) की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी परामर्श में दिए गए हैं। यह परामर्श दो अगस्त को 15वें भारतीय अंगदान दिवस के अवसर पर अंगदान और प्रतिरोपण को बढ़ावा देने के लिए जारी किया गया था।
इस परामर्श में कहा गया है कि मृत अंगदाताओं का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार किया जाए और उनके परिजनों को 15 अगस्त, 26 जनवरी, राज्य स्थापना दिवस आदि अवसरों पर राज्य/जिला स्तर के सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाए। इसमें आगे कहा गया है, ‘मृत दाता अंग प्रतिरोपण की प्रतीक्षा सूची में महिला मरीजों को अतिरिक्त अंक देने का प्रावधान किया जाए, ताकि लैंगिक असमानता को दूर किया जा सके। यदि किसी मृत दाता के निकट संबंधी को अंग प्रतिरोपण की जरुरत है, तो उसे प्राथमिकता दी जाए।’
इसमें सभी ट्रॉमा सेंटर में अंग और ऊतक निकालने की सुविधाएं विकसित करने और उन्हें अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम (थोटा), 1994 के तहत अंग निकासी केंद्र के रूप में पंजीकृत करने का सुझाव दिया गया है। इसी तरह, राज्यों को चरणबद्ध तरीके से अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों में भी ऐसी सुविधाएं विकसित करने की सलाह दी गई है। राज्यों से कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार और मस्तिष्काघात के मरीजों में संभावित मृत दाताओं की समय पर पहचान के लिए आपातकालीन सेवाकर्मियों और एंबुलेंस कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए तथा इस बारे में अस्पताल के अंगदान समन्वयक को सूचित किया जाए।
इस परामर्श में राज्यों से एक ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने का सुझाव भी दिया गया है, जो जन जागरूकता गतिविधियों को बढ़ावा दे सके। एनओटीटीओ ने अंगदान और प्रतिरोपण कार्यक्रम में प्रतिरोपण समन्वयकों की अहम भूमिका को देखते हुए, अंग प्रतिरोपण या अंग निकासी करने वाले अस्पतालों में उनके लिए स्थायी पद सृजित करने की सिफारिश की है। अंगदान के महत्व पर जोर देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि अंग विफलता के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा, ‘हर साल हजारों लोग अंग प्रतिरोपण के लिए प्रतीक्षा करते हैं। त्वरित जरूरत होने के बावजूद, प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों की संख्या और उपलब्ध दाताओं की संख्या के बीच भारी अंतर बना हुआ है।’
अंग प्रतिरोपण नियमों में सरकार ने किया बड़ा बदलाव, महिलाओं और मृत दाताओं के परिजनों को मिलेगा पहला हक
Latest Articles
रॉबर्ट वाड्रा पर 58 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप, ईडी ने दायर की...
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि उन्होंने...
भारत की समुद्र में बढ़ेगी ताकत: 26 अगस्त को नौसेना में शामिल होंगे युद्धपोत...
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के बेड़े में 26 अगस्त को एक साथ दो बेहद आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स (रडार को चकमा देने वाले युद्धपोत) उदयगिरि...
राहुल गांधी की मतदाता सूची को आयोग ने बताया भ्रामक, फैक्ट चेक के बाद...
नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को कांग्रेस राहुल गांधी की तरफ से जारी उस मतदाता सूची को पूरी तरह गलत और...
अरब सागर में भारतीय नौसेना करेगी युद्धाभ्यास
नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान की नौसेनाएं अरब सागर में अलग-अलग दो दिनों तक अभ्यास करने वाली हैं। भारतीय नौसेना...
लिमच्यागाड में बना वैली ब्रिज, सोनगाड तक सड़क संपर्क बहाल
देहरादून। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमच्यागाड में आपदा से क्षतिग्रस्त पुल के स्थान पर वैली ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है।...