दुबई : रूस ने भारत को सुखोई-57 लड़ाकू विमान की पेशकश की है। इस पेशकश में भारत में पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ लड़ाकू विमान के उत्पादन का प्रस्ताव दिया गया है। साथ ही रूस विमान के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए भी तैयार है। रूस की ओर से यह प्रस्ताव राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले आया है। माना जा रहा है कि भारत और रूस के बीच बड़ा रक्षा सौदा हो सकता है।
दुबई एयर शो के दौरान रूसी सरकार के स्वामित्व वाले रोस्तेक के सीईओ सेर्गेई चेमगोव ने कहा कि भारत और रूस दशकों से भरोसेमंद रक्षा साझेदार रहे हैं। जब भारत प्रतिबंधों के दौर में था तब भी हमने उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक हथियारों की सप्लाई जारी रखी। आज भी हम भारत की हर आवश्यकता को पूरा करने के लिए तैयार हैं।
सेर्गेई चेमगोव ने कहा, प्रस्ताव के तहत सुखोई-57 का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। यह भी प्रस्ताव है कि यदि भारत सहमत हो, तो सुखोई-57 का दो-सीटर संस्करण भी दोनों देशों के बीच मिलकर विकसित किया जा सकता है। यह पूरा सहयोग भारत में किसी भी बाहरी दबाव या प्रतिबंध की चिंता के बिना आगे बढ़ सकता है। केमेगोव ने स्पष्ट किया कि यदि भारत सुखोई-57 या एस-400 सिस्टम जैसे और हथियारों की मांग करता है, तो रूस तुरंत सहयोग करेगा। यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी वाडिम बाडेखा ने भी पुष्टि की कि सुखोई-57 से जुड़ी भारत की सभी शर्तें रूस को स्वीकार हैं और दोनों देशों के बीच तकनीकी बातचीत लगातार चल रही है।
लड़ाकू विमानों की आपूर्ति और लाइसेंस उत्पादन के साथ भारतीय हथियारों के एकीकरण को ध्यान में रखते हुए व्यापक तकनीक हस्तांतरण की व्यवस्था की जाएगी। इस तकनीकी सहयोग में इंजन, ऑप्टिक्स, एईएसए रडार, एआई आधारित एवियोनिक्स सिस्टम, लो-सिग्नेचर (स्टेल्थ) तकनीक तथा आधुनिक एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों जैसी उन्नत प्रणालियाँ शामिल होंगी।
अहम बात यह है कि हाल ही में रूस की एक तकनीकी टीम ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) का दौरा कर भारत में सुखोई-57 लड़ाकू विमान के निर्माण की संभावनाएं तलाशी थीं। यह टीम इस बात का जायजा लेने गई थी कि यदि भारत और रूस मिलकर पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाएं, तो एचएएल के पास मौजूदा सुविधाएं कितनी पर्याप्त हैं। सूत्रों के मुताबिक इस टीम ने पाया कि एचएएल के पास इस विमान का निर्माण करने की करीब 50 प्रतिशत सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं।
रूस का उन्नत सुखोई-57 डॉगफाइट क्षमताओं, मजबूत संरचना और कम रखरखाव लागत के मामले में अमेरिकी एफ-35 से काफी आगे है। सुखोई की रेंज की बात करें तो यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लेकर रेगिस्तानी इलाकों तक इसकी ऑपरेशनल क्षमता बेहद ही शानदार है।
सामरिक विशेषज्ञ बताते हैं कि यह दुनिया का सबसे घातक, सबसे खतरनाक, तेज गति से हमला करने में सक्षम फाइटर जेट हो सकता है। अभी तक एफ-35 लाइटनिंग ही ऐसा फाइटरजेट है, जिसके मिशन की टोह लेना बहुत मुश्किल है, लेकिन कहा जा रहा है कि घातकता के मामले में यह उसे कड़ी टक्कर दे सकता है।
सू-57 भी किसी रेडार, सेंसर आदि की पकड़ से दूर फाइटरजेट है। एसू-57 जैसे फाइटर जेट ये हवा में लंबी दूरी के आपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। इसमें जमीनी, हवा और समुद्र क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालने की क्षमता है। 10,300 किग्रा ईधन की क्षमता वाले इस फाइटर जेट में मिग-29 की तरह प्रतिरक्षी, सू-27 की तरह मारक क्षमता है। इसका उपयोग बहुउद्देश्यी अभियानों में किया जा सकता है और इसे विकसित करने में भारत भी भागीदार है।
इसमें एईएसए रडार सिस्टम है और यह क्रूज मिसाइल दाग सकता है। रूस का कहना है कि इसमें जल्द ही एएल-51ए1 इंजन लगाया जाएगा। इससे यह बिना आफ्टरबर्नर के लंबे समय तक सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकेगा। यह विमान की युद्ध क्षमता को बढ़ा देगा।
भारत को पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ विमान देगा रूस, तकनीकी हस्तांतरण को तैयार
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