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Wednesday, December 3, 2025


‘भविष्य के युद्धों की कल्पना, उनका अनुमान लगाना और इसकी तैयारी करना बेहद जरूरी..’, जनरल अनिल चौहान बोले

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि युद्ध का स्वरूप लगातार बदल रहा है और कई बार जो चीजें भविष्यवादी लगती हैं, वे लागू होने से पहले ही पुरानी हो जाती हैं। इसलिए भविष्य के युद्धों की कल्पना करना, उनका अनुमान लगाना और पहले से तैयारी करना सेना के लिए बेहद जरूरी है। यह कोई विकल्प नहीं, बल्कि अस्तित्व का सवाल है।
चाणक्य रक्षा संवाद में सीडीएस ने कहा, भविष्य में हो सकता है कि युद्ध में दुश्मन को उसके बारे में जानकारी न होने देना ही जीत का बड़ा कारक बन जाए। पारंपरिक निरोध (डिटरेंस) का रूप बदल रहा है, जिससे सैन्य चुनौतियां और जटिल हो गई हैं। परमाणु हथियारों पर उन्होंने कहा कि दुनिया में स्थिरता कमजोर हो रही है। रूस की ओर से परमाणु-संचालित प्रणालियां विकसित करना, चीन का बढ़ता परमाणु भंडार और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से परमाणु परीक्षण की बात, ये सभी वैश्विक अस्थिरता के संकेत हैं।
सीडीएस चौहान ने कहा, बदलते भू-राजनीतिक समीकरण, क्षेत्रीय तनाव और राजनीतिक उद्देश्यों को पाने के लिए बल प्रयोग की प्रवृत्ति दुनिया को और अस्थिर बना रही है। तकनीक के असर पर उन्होंने कहा कि ड्रोन, साइबर टेक्नोलॉजी, एआई और स्पेस तकनीक ने भौगोलिक सीमाओं का महत्व कम कर दिया है। भविष्य के युद्ध तकनीक, भू-राजनीति और सैन्य रणनीतियों के मिश्रण से तय होंगे।
जनरल चौहान ने कहा, दुनिया की बदलती राजनीति, गठबंधनों का बदलता स्वरूप, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर बढ़ती चुनौतियां और राजनीतिक लक्ष्यों के लिए बल प्रयोग की प्रवृत्ति ये सभी संकेत देते हैं कि भविष्य की दुनिया और अधिक अस्थिर और हिंसक हो सकती है।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि दुनिया अब शीत युद्ध (कोल्ड वार) के दो हिस्सों वाले दौर से निकलकर एक छोटे से एकछत्र दौर के बाद, आज अनिश्चित व बंटी हुई स्थिति में पहुंच गई है। अब दुनिया में बड़े संघर्ष बढ़ रहे हैं और सुरक्षा, रोकथाम व युद्ध की तैयारी पर पहले से ज्यादा जोर दिया जा रहा है। ऐसे बदलते माहौल में भारतीय सेना को भी आने वाले समय के लिए खुद को पूरी तरह तैयार रखना होगा। जनरल द्विवेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5-एस दृष्टिकोण- सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा को सेना के परिवर्तन का मार्गदर्शन बताया। उन्होंने परिवर्तन का दशक (2023-2032) और तीन-चरणीय योजना का विवरण भी दिया। इसके अलावा चार मुख्य स्प्रिंगबोर्ड भी बताए, आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भरता और स्वदेशी निर्माण), तेज नवाचार (एआई, साइबर, क्वांटम, ऑटोनॉमस सिस्टम, अंतरिक्ष और एडवांस्ड मटेरियल्स), अनुकूलन और सैन्य-नागरिक सहयोग।

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