भारतीय सेना में पहली बार महिला सैनिकों के शामिल होने की तैयारी पूरी हो चुकी है. बेंगलुरु के कॉप्स ऑफ मिलिट्री पुलिस सेंटर एंड स्कूल में 100 महिलाओं की ट्रेनिंग अपने अंतिम चरण में है और 8 मई को इनका शानदार पासिंग आउट परेड होगा. इसके बाद ये महिला सैनिक लांस नायक के पद पर सेना के 11 लोकेशंस पर पोस्टेड होंगी और इनमें से कुछ सीमावर्ती इलाकों में भी तैनात हो सकती हैं. आइए जानते हैं कैसी रही भारत की इन दिलेर बेटियों की ट्रेनिंग और कौन हैं ये बहादुर महिला सैनिक…
इन महिला सैनिकों के फौलादी इरादे दुश्मन के दांत कर देगा खट्टे
इन महिला सैनिकों के फौलादी इरादे दुश्मन के दांत खट्टे कर सकते हैं. जोश, जज्बा और जुनून से भरे बुलंद इरादे और देश की रक्षा के लिए हर पल खड़ी भारत की ये बेटियां ऐसी परिवारों में पैदा हुईं जिन्होंने किसान, टीचर, वेल्डर जैसे व्यव्साय कर अपनी बेटियों को बेटों के बराबर बड़ा किया और फर्क नहीं किया.
बेंगलुरु के कॉप्स ऑफ मिलिट्री पुलिस सेंटर एंड स्कूल में जारी है 61 दिन की कड़ी ट्रेनिंग
यही वजह है कि ये 100 सिपॉय महिला सैनिक बेंगलुरु की ब्लूअर फायरिंग रेंज में जब अपने हाथों से ट्रिगर दबाती हैं तो उसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है. पूरे 61 दिन की ट्रेनिंग हासिल करने के बाद अब ये महिला सैनिक मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. भारतीय सेना की तरफ से यह एक बड़ा कदम है जो पहली बार महिलाओं को अफसर रैंक के नीचे के पद पर तैनात करने की प्रक्रिया शुरू की है. अब यह सेना में पुरुष और महिला की बराबरी की भी एक ओर मिसाल है.
2 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों के आवेदन में चुनी गई 100 युवा लड़कियां
बीते वर्ष 2 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों के आवेदन में से 61 हफ्तों की ए.ई.सी. ट्रेनिंग के लिए ये 100 बेहतरीन युवा लड़कियां चुनी गई हैं. ए.ई.सी ट्रेनिंग में पुरुष या महिला में कोई अंतर नहीं किया जाता. जब ये लड़कियां अपने जोश के साथ ट्रेनिंग के लिए तैयार होती हैं तो दूर से इन्हें देखकर पता नहीं चलता कि इनमें से कौन महिला है और कौन पुरुष. इंस्ट्रक्टर ने पहचान के लिए इन युवा लड़कियों की बाह पर रंगीन स्कार्फ लगा दी है. इन युवा लड़कियों ने पुरुष सहयोगियों के साथ कठिन नियमों वाली ट्रेनिंग की और अपने आपको फौलादी इरादों वाली बनाया.
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