नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर करारा हमला बोलते हुए सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का जिक्र किया। उन्होंने अनुच्छेद 370 समेत तमाम मुद्दों पर कांग्रेस समेत विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा कि चार दशक से देश में तीन नासूर थे, पहला- आतंकवाद, दूसरा- नक्सलवाद और तीसरा- पूर्व उग्रवाद। हमने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। अमित शाह ने कहा कि मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि इस देश में नक्सलवाद 21 मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगा।
अमित शाह ने कहा, ’21 सदस्यों ने सदन में अपने विचार रखे। एक तरह से गृह मंत्रालय के अनेक कार्यों के आयामों को समेटने का प्रयास किया गया। सबसे पहले मैं उन हजारों राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं को मजबूत करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।’
सरकार के विकास कार्य गिनाते हुए शाह विपक्ष पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि जो काला चश्मा पहनकर आंखें मूंदकर बैठे हैं, उनको विकास के नजारे नहीं दिखाए जा सकते। एक सांसद कश्मीर गए। वहां कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ के साथ खेले भी। उन्होंने कहा कि उन्हें दूर से आतंकी दिखाई दिया। आगे उन्होंने कहा कि नजर में ही आतंकी है तो आपको सपने में भी वही आएगा। हम तो दिखाई देते ही दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न तो आतंक को बर्दाश्त कर सकती है और न ही आतंकियों को। आतंकियों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।
मुख्य मुद्दों के कारण चुनौती दी गई। इन तीन मुद्दों ने देश की शांति में बाधा उत्पन्न की, देश की सुरक्षा पर सवाल उठाए और लगभग 4 दशकों तक देश के विकास की गति को बाधित किया। उन्होंने देश की पूरी व्यवस्था को भी कई बार हास्यास्पद बना दिया। ये तीन मुद्दे थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, तिरुपति से पशुपतिनाथ तक का सपना दिखाने वाला वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद। यदि आप इन तीनों मुद्दों को एक साथ जोड़ दें, तो इस देश के लगभग 92,000 नागरिक 4 दशकों में मारे गए। इन तीनों मुद्दों के उन्मूलन के लिए कभी भी सुनियोजित प्रयास नहीं किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद ये प्रयास किए।’ राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘सबसे पहले मैं कश्मीर के बारे में बात करूंगा। पड़ोसी देश से आतंकवादी कश्मीर में घुस आते थे, वे यहां बम विस्फोट और हत्याएं करते थे। ऐसा कोई त्योहार नहीं था, जो बिना किसी चिंता के मनाया जाता था। केंद्र सरकारों का रवैया लचीला था। वे चुप रहते थे और बोलने से डरते थे। उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता थी। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद हमने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। हमारे सत्ता में आने के बाद भी हमले हुए- उरी और पुलवामा पर… 10 दिनों के भीतर हमने पाकिस्तान में घुसकर एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए उन्हें जवाब दिया। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति वहीं से शुरू हुई। अनुच्छेद 370 कश्मीर में अलगाववाद का आधार था, लेकिन 5 अगस्त 2019 को संसद में अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया।
गृह मंत्री ने कहा, ‘…क्या होता है जब कोई सरकार होती है जो नक्सलवाद को एक राजनीतिक मुद्दा मानती है और क्या होता है जब कोई सरकार होती है जो सुरक्षा के साथ-साथ विकास के लिए काम करती है। जब दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में आई, उसके बाद एक साल में ही 380 नक्सली मारे गए, जबकि कल मारे गए 30 नक्सलियों को इसमें नहीं जोड़ा गया है। 1194 गिरफ्तार किए गए और 1045 ने आत्मसमर्पण किया। सक्रिय नक्सलियों की संख्या में 2619 की कमी आई। इन ऑपरेशनों में 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए। यह वही छत्तीसगढ़ है, वही पुलिस है, वही सीआरपीएफ है और वही भारत सरकार है। वहां सिर्फ कांग्रेस की सरकार थी, यह दृष्टिकोण का सवाल है।
अमित शाह ने कहा, ‘हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद हमने सभी सशस्त्र संगठनों (पूर्वोत्तर में) से बात की। 2019 से अब तक 12 महत्वपूर्ण शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 10,900 युवाओं ने हथियार छोड़ दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। मैं हाल ही में बोडोलैंड में था, हजारों युवा अब विकास की राह पर चल रहे हैं।’
राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, ‘एक तरह से गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है। संविधान ने कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है। सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। यह एक सही निर्णय है। इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की है तो 76 साल बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं, वे अंतरराज्यीय भी हैं और बहुराज्यीय भी हैं – जैसे नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला। ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं।
राज्यसभा में गरजे अमित शाह, आतंकवाद पर बोला करारा हमला; विपक्ष को भी घेरा
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