13.5 C
Dehradun
Friday, November 22, 2024

18 राज्यों के मुख्य सचिव, वित्त सचिव सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश

नई दिल्ली। न्यायिक अधिकारियों को वेतन, बकाया पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के अनुपालन की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए 18 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और वित्त सचिव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। शीर्ष नौकरशाहों ने भविष्य में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के कल्याण एवं अन्य उपायों के क्रियान्वयन के संबंध में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (एआइजेए) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और निर्देशों के अनुपालन के बारे में जानकारी दी तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा- ‘हमें राज्यों के मुख्य सचिवों, वित्त सचिवों को तलब करने में कोई खुशी नहीं होती लेकिन राज्यों के वकील सुनवाई के दौरान लगातार अनुपस्थित रहे हैं।’
कोर्ट में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, नगालैंड, मेघालय, केरल, बिहार, गोवा, और ओडिशा के शीर्ष नौकरशाह सीजेआइ के अदालतकक्ष में पेश हुए और वकीलों की सहायता करते नजर आए।
कुछ मुख्य सचिवों ने 22 अगस्त तक अपने वकीलों के माध्यम से अदालत में पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से बचने का प्रयास किया और कहा कि उन्होंने निर्देशों का काफी हद तक पालन किया है तथा डिजिटल माध्यम के जरिये उपस्थित होने की अनुमति देने का अनुरोध किया। पीठ ने हालांकि नरमी नहीं दिखाई और कहा कि वह कुछ नौकरशाहों के लिए अपवाद नहीं बना सकती।
सीजीआइ ने 22 अगस्त को चेतावनी दी थी- ‘मैं देख सकता हूं कि कोई ठोस अनुपालन नहीं हुआ है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से हमारे सामने पेश होना होगा या हम उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करेंगे।’
मंगलवार को पीठ 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने चार जनवरी के फैसले और पहले के निर्देशों के अनुपालन से संतुष्ट थी और उसने कार्यवाही बंद कर दी । उसने कहा कि शीर्ष नौकरशाहों को अब भौतिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।
कुछ राज्यों के मामले में न्यायालय ने कहा कि उनके संबंधित वित्त विभाग के प्राधिकारियों को न्यायिक अधिकारियों द्वारा उठाए गए वेतन, पेंशन और भत्ते से संबंधित बकाया दावों का चार सप्ताह के भीतर निपटारा करना होगा।
मामले में न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने शुरुआत में कहा कि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने निर्देशों का पालन किया है।

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

कोलकाता से पटना जा रही बस हजारीबाग में हादसे का शिकार; सात लोगों की...

0
पटना: झारखंड के हजारीबाग जिले में पटना जा रही एक बस के पलट जाने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई...

आठ दिन बाद एक बार फिर बेहद खराब श्रेणी में दिल्ली की हवा, छह...

0
नई दिल्ली: राजधानी में मौसमी दशाओं के बदलने से वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। गुरुवार को आठ दिन बाद हवा...

कंपनी गार्डन अब अटल उद्यान के नाम से जाना जाएगा

0
मसूरी। मसूरी में नगर पालिका परिषद द्वारा कंपनी गार्डन के नए नाम अटल उद्यान पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम...

विश्वविद्यालय के हाथों में होगी समर्थ पोर्टल की कमानः डॉ. धन सिंह रावत

0
श्रीनगर/देहरादून। उच्च शिक्षा विभाग में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश को लेकर सामने आई दिक्कतों को मध्यनज़र रखते हुये समर्थ पोर्टल का संचालन...

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय खेल तैयारियों की हर सप्ताह समीक्षा करने के...

0
देहरादून। चारधाम यात्रा के सकुशल सम्पन्न होने के साथ ही प्रदेश सरकार, आगामी चारधाम यात्रा की तैयारी में जुट गई है। चार धाम यात्रा...