नई दिल्ली। न्यायिक अधिकारियों को वेतन, बकाया पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के अनुपालन की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए 18 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और वित्त सचिव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। शीर्ष नौकरशाहों ने भविष्य में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के कल्याण एवं अन्य उपायों के क्रियान्वयन के संबंध में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (एआइजेए) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और निर्देशों के अनुपालन के बारे में जानकारी दी तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा- ‘हमें राज्यों के मुख्य सचिवों, वित्त सचिवों को तलब करने में कोई खुशी नहीं होती लेकिन राज्यों के वकील सुनवाई के दौरान लगातार अनुपस्थित रहे हैं।’
कोर्ट में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, नगालैंड, मेघालय, केरल, बिहार, गोवा, और ओडिशा के शीर्ष नौकरशाह सीजेआइ के अदालतकक्ष में पेश हुए और वकीलों की सहायता करते नजर आए।
कुछ मुख्य सचिवों ने 22 अगस्त तक अपने वकीलों के माध्यम से अदालत में पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से बचने का प्रयास किया और कहा कि उन्होंने निर्देशों का काफी हद तक पालन किया है तथा डिजिटल माध्यम के जरिये उपस्थित होने की अनुमति देने का अनुरोध किया। पीठ ने हालांकि नरमी नहीं दिखाई और कहा कि वह कुछ नौकरशाहों के लिए अपवाद नहीं बना सकती।
सीजीआइ ने 22 अगस्त को चेतावनी दी थी- ‘मैं देख सकता हूं कि कोई ठोस अनुपालन नहीं हुआ है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से हमारे सामने पेश होना होगा या हम उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करेंगे।’
मंगलवार को पीठ 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने चार जनवरी के फैसले और पहले के निर्देशों के अनुपालन से संतुष्ट थी और उसने कार्यवाही बंद कर दी । उसने कहा कि शीर्ष नौकरशाहों को अब भौतिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।
कुछ राज्यों के मामले में न्यायालय ने कहा कि उनके संबंधित वित्त विभाग के प्राधिकारियों को न्यायिक अधिकारियों द्वारा उठाए गए वेतन, पेंशन और भत्ते से संबंधित बकाया दावों का चार सप्ताह के भीतर निपटारा करना होगा।
मामले में न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने शुरुआत में कहा कि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने निर्देशों का पालन किया है।
18 राज्यों के मुख्य सचिव, वित्त सचिव सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश
Latest Articles
नौसेना की ताकत में होगा इजाफा, एंटी-शिप क्रूज मिसाइल की खरीद के लिए भारत...
नई दिल्ली। भारत ने मंगवार को एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस कदम...
‘देश के प्रथम नागरिक का अपमान’, सोनिया गांधी की टिप्पणी पर पीएम मोदी ने...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की 'बेचारी' टिप्पणी पर कटाक्ष करते हुए कहा...
केजरीवाल पर एक और केस: शाहबाद पुलिस ने पांच धाराओं के तहत दर्ज की...
दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शाहाबाद पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ है।...
मुख्यमंत्री ने की विभिन्न विकास योजनाओं के लिये धनराशि स्वीकृत
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आपदाग्रस्त एवं ग्रामीण क्षेत्र खैर मानसिंह, द्रोण द्वारा, थेवा मालदेवता, अस्थल, अखण्डवाली भिलंग में 500 सोलर स्ट्रीट लगाये...
सीएम ने बैडमिंटन प्रतियोगिता के विजेता खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को परेड ग्राउण्ड, देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेल-2025 के अन्तर्गत आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिता का अवलोकन किया। इस...