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Tuesday, November 18, 2025

सीएम योगी का निर्देश, 100 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग होगी अनिवार्य

लखनऊ: प्रदेश के कई इलाकों में घटते भूजल स्तर को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 100 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले सभी भवनों में रेन हार्वेस्टिंग को अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से लागू किए जाएं। जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा। साथ ही सीएम ने यह भी निर्देश दिए हैं हर बरसात से पहले यानी 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाब से मुफ्त में मिट्टी निकालने की छूट दी जाए, ताकि तालाब वाटर रिचार्ज के लिए तैयार किए जा सकें।
मुख्यमंत्री शानिवार को अपने सरकारी आवास पर नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल संकट आज की हमारी सामूहिक चिंता का विषय हो गया है। चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप के जरिए वर्षा जल रोकने का काम प्राथमिकता से किए जाएं। उन्होंने निर्देशित किया कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ की तर्ज पर जनांदोलन बनाते हुए चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराएं। सीएम ने कहा कि प्रदेश में विभाग द्वारा अद्यतन 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया जा चुका है। इन चेकडैमों से कुल 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिचाई क्षमता सृजित हुई है और हर साल 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है।
बैठक में बताया गया कि वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के सरकार के प्रयासों के तहत त्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग और मरम्मत करके मता में वृद्धि की गई है। प्रदेश के 1 से 5 हेक्टेयर के 16,610 तालाबों में से 1,343 का पुनर्विकास और जीर्णोद्धार किया गया है, वहीं वर्ष 2017-2025 तक 6192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हुई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों की फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन कराएं। साथ ही जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अभियान चलाएं । मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे। लेकिन जलसंरक्षण के लिए लगातार हो रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में यह घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आगामी वर्षों में ऐसे क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास करें।

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