उत्तराखंड में 2022 के चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में आज कांग्रेस विधायक मंडल दल की बैठक आयोजित की गई है. इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष के अलावा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी विधायकों से मशवरा किया जाएगा. कांग्रेस के सामने चुनाव से ठीक पहले सबसे बड़ी चुनौती है गढ़वाल और कुमाऊं के बीच प्रतिनिधित्व देने की है, साल 2017 के चुनाव में देखने को मिला था क्या गढ़वाल से कॉग्रेस बुरी तरह हार गई थी रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी इन चार पहाड़ी जिलों की बात की जाए तो इसमें सिर्फ केदारनाथ और पुरोला से ही कांग्रेस जीत कर आई थी.
जबकि 3 सीटें हैं हरिद्वार एक देहरादून और बाकी 5 सीट कुमाऊ से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. लिहाजा इस बार कुमाऊ के साथ-साथ गढ़वाल का संतुलन साधना भी बेहद जरूरी है. कांग्रेस के सह प्रभारी राजेश धर्मानी का कहना है कि कांग्रेस सभी पहलुओं पर विचार कर रही है और गढ़वाल कुमाऊं का प्रतिनिधित्व देने के साथ युवाओं और महिलाओं को भी विशेष जगह देने पर विशेष विचार किया जाएगा.
वहीं कांग्रेस के केदारनाथ से विधायक मनोज रावत का कहना है पार्टी फोरम पर वह इस बात को मजबूती से रखेंगे की गढ़वाल का प्रतिनिधित्व पार्टी दूरदर्शीता और 2022 के चुनाव को लेकर देखे. मनोज रावत का कहना है कि गढ़वाल क्षेत्र में भी कई बड़े नेता पार्टी में लगातार सक्रियता से काम कर रहे हैं, इन सभी को सरकार चलाने का भी अनुभव लंबे समय तक रहा है लिहाजा इन सब बातों का भी कांग्रेस हाईकमान को ध्यान रखना चाहिए.