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Friday, March 14, 2025
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विपक्षी गठबंधन इंडिया में दरार, सपा ने छोड़ा MVA का साथ, ममता भी नाराज

नई दिल्ली : भाजपा का मुकाबला करने के लिए बने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दरार पड़ने लगी है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से सपा के अलग होने और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी के गठबंधन के कामकाज से असंतुष्ट होने से साफ है कि गठबंधन का भविष्य सवालों में है। विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा मतभेद कांग्रेस की स्थिति को लेकर है। गठबंधन अब भाजपा को छोड़कर आपस में ही उलझता नजर आ रहा है।
विपक्षी गठबंधन का गठन जून 2023 में लोकसभा चुनाव से पहले ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ के नारे के साथ किया गया था। तब इसके अगुआ जनता दल यूनाइडेट के नेता नीतीश कुमार थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पाला बदला और भाजपा के एनडीए से हाथ मिला लिया। इसके बाद गठबंधन में शामिल अन्य विपक्षी दलों ने नीतीश पर खूब हमला बोला था। मगर नीतीश वापस नहीं लौटे। इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद करनी शुरू की। लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर रहा था। भाजपा की सीटें कम हुईं तो विपक्षी गठबंधन में जोश दिखा। मगर जैसे-जैसे राज्यों के चुनाव हुए तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में मतभेद शुरू होने लगे। मौजूदा मामला महाराष्ट्र से आया है। यहां समाजवादी पार्टी ने शिवसेना (उद्धव) नेता द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस की प्रशंसा करने के बाद महाविकास अघाड़ी (एमवीए) छोड़ने की घोषणा की है। इससे पहले अदाणी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ नहीं दिखीं।
विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा मतभेद कांग्रेस की स्थिति को लेकर है। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद अब कई पार्टियां गठबंधन में अपनी ताकत दिखाने लगी हैं। कांग्रेस को लेकर विपक्षी दलों का मानना है कि उसे आत्मचिंतन करना चाहिए और दूसरों के प्रति उदार होना चाहिए। इसी का नतीजा है कि सहयोगी दल कांग्रेस के दबदबे के खिलाफ भी बोल रहे हैं। अब सभी की निगाहें कांग्रेस के अगले कदम पर टिकी हैं। सपा नेता अबू आसिम आजमी ने कहा कि महाविकास अघाड़ी ने कभी हमारा सम्मान नहीं किया। उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी ने कहा था कि वे सांप्रदायिकता छोड़ देंगे और धर्म निरपेक्ष ताकतों से हाथ मिलाएंगे। उन्होंने और उनकी पार्टी ने एक बार फिर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वालों का सम्मान किया है। समाजवादी पार्टी उनके साथ कभी नहीं रह सकती जो लोगों को धर्म के आधार पर बांटना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें एमवीए की समन्वय बैठक के लिए कभी नहीं बुलाया गया। हम लोकसभा चुनावों की तरह समन्वय चाहते थे। लेकिन कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (एसपी) सीट बंटवारे को लेकर एक-दूसरे से लड़ते रहे। यही कारण है कि महाराष्ट्र चुनाव हम हार गए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया था और मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि वह बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका जारी रखते हुए विपक्षी मोर्चे के नेतृत्व के साथ दोहरी जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होंगी। सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान कहते हैं कि हम अभी भी ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं क्योंकि हम संस्थापकों में से एक थे। लेकिन गठबंधन के सहयोगियों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं। गठबंधन की मौजूदा हालत पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे गठबंधन के अध्यक्ष हैं और उन्हें मुद्दों पर जवाब देना चाहिए। कांग्रेस को गंभीरता से आत्मचिंतन करना होगा और इस बात पर विचार करना होगा कि विधानसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा ठीक से क्यों नहीं किया गया, जहां उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। राजा ने कहा कि सभी दलों को एकजुट रहना होगा क्योंकि ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन ‘भाजपा हटाओ, देश बचाओ’ के नारे के साथ हुआ था और सभी को उस दिशा में काम करना चाहिए। कांग्रेस को भी अन्य दलों की बात सुननी चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि ‘इंडिया’ के सभी घटक दलों के नेता तय करेंगे कि उनका नेतृत्व कौन करेगा? ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एक मजबूत स्तंभ हैं। विभिन्न नेता अपने-अपने राज्यों में आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं।
जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन के हमेशा से बिखरने का खतरा रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह केवल एक औपचारिकता है। अब तक यह गठबंधन केवल कागजों पर दिखाई देता था, लेकिन अब यह वहां भी नहीं रहेगा। भाजपा नेता सीआर केसवन ने विपक्षी गठबंधन को अवसरवादी बताया। उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन टूट रहा है। उनके बीच कलह इसलिए है क्योंकि गठबंधन में शामिल दलों को लगता है कि राहुल गांधी का असफल नेतृत्व चुनावों में उनकी विफलता का कारण है। कलह अब खुले तौर पर सामने आ गई है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पहली बैठक पटना में नीतीश कुमार ने आयोजित की थी। उस समय कई विपक्षी नेताओं ने अपने मतभेदों को स्वीकार करते हुए भाजपा को हराने के लिए मिलकर काम करने की इच्छा और आवश्यकता व्यक्त की थी। खरगे ने कहा था कि हमें हर राज्य के लिए अलग-अलग योजनाएं बनानी होंगी और केंद्र में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए मिलकर काम करना होगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि हमें देश को बचाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। बैठक में करीब 17 राजनीतिक दलों के 32 से अधिक नेता शामिल हुए थे।

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