सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि देश में सभी महिलाओं को सुरक्षित और कानूनी रूप से मान्य गर्भपात का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी महिला की वैवाहिक स्थिति उसे उसके अनचाहे गर्भ को गिराने के अधिकार से नहीं रोक सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सिंगल और अविवाहित महिलाओं के पास मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (MTP) के तहत 24 हफ्ते के भीतर गर्भपात कराने का आधिकार है।कोर्ट ने कहा कि भारत में गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेद नहीं किया गया है। ऐसा करना असंवैधानिक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाहित और अविवाहित के बीच भेदभाव उस रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन संबंध बना सकती हैं।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि किसी विवाहित महिला को जबरन गर्भवती करना भी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट के तहत रेप माना जा सकता है। जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने एमटीपी अधिनियम की व्याख्या पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चाहे महिला विवाहित हो या अविवाहित, वह गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक वह गर्भपात करा सकती हैं।
SC holds that all women are entitled to safe&legal abortion
— ANI (@ANI) September 29, 2022
SC says,marital status of a woman can't be ground to deprive her right to abort unwanted pregnancy. Single&unmarried women have right to abort under Medical Termination of Pregnancy Act &rules till 24 weeks of pregnancy pic.twitter.com/jrQcQWTTbT
पीठ ने 23 अगस्त को एमटीपी अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें विवाहित और अविवाहित महिलाओं के 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक गर्भपात कराने को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं।