19.2 C
Dehradun
Friday, October 25, 2024

होम्योपैथी: बिना सर्जरी रामबाण इलाज, जानें भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत |Postmanindia

आज ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ के अवसर है. प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. यह दिन जर्मन चिकित्सक डॉ क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जो होम्योपैथी के संस्थापक हैं. डॉ हैनिमैन एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भाषाविद थे. उनका जन्म 10 अप्रैल 1755 को पेरिस में हुआ था. उन्होंने होम्योपैथी के उपयोग के माध्यम से लोगों को स्वस्थ करने के कई तरीके खोजे.

बिना सर्जरी के किया जाता है इलाज

होम्योपैथी चिकित्सा के वैकल्पिक विषयों में से एक है जो आम तौर पर रोगी के शरीर की उपचार प्रक्रिया को ट्रिगर करके काम करता है. होम्योपैथी दवाओं और सर्जरी का उपयोग नहीं करता है. यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर व्यक्ति के लिए बीमारियों के अलग-अलग लक्षण होते हैं और उसी के अनुसार उसका इलाज किया जाना चाहिए. यह मानता है कि प्राकृतिक अवयवों की खुराक के माध्यम से इन लक्षणों को उत्प्रेरण करके किसी भी बीमारी को ठीक किया जा सकता है. आज, दुनिया भर में होम्योपैथिक उपचार पर बहुत से लोग निर्भर हैं.

प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग दवाओं और उपचारों के लिए एक अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है. लक्षणों और प्रतिक्रियाओं की यह विशिष्टता उनमें से प्रत्येक के लिए निर्धारित उपाय में अंतर लाती है. होम्योपैथी व्यक्तिगत दवा की अवधारणा का सम्मान करती है.

एक सस्ता और सुरक्षित उपचार

होम्योपैथी को पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक तरीके से प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि इसकी बजाय यह शरीर में पिछले बीमारियों और निर्धारित दवाओं की उचित और नियमित खुराक के साथ नए विकास की जांच करने में मदद करता है. होम्योपैथी को एक सुरक्षित उपचार माना जाता है क्योंकि यह बेहद कम मात्रा में दवा का उपयोग करता है और इसके बहुत कम दुष्प्रभाव होते हैं.

इसकी गैर-विषाक्तता बच्चों के उपचार के लिए इसे एक अच्छा विकल्प बनाती है. होम्योपैथी का एक अन्य लाभ इस उपचार की लागत है. होम्योपैथिक उपचार एलोपेथिक उपचार की तुलना में काफी सस्ते होते हैं और इनका इलाज काफी प्रभावी पाया गया है.

भारत में होम्योपैथी

भारत में होम्योपैथी का इतिहास एक फ्रांसीसी डॉ. होनिगबर्गर के नाम से जुड़ा हुआ है, जो भारत में होम्योपैथी लाए थे. वह महाराजा रणजीत सिंह के दरबार से जुड़े थे. वह 1829-1830 में लाहौर पहुंचे और बाद में उन्हें पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के इलाज के लिए आमंत्रित किया गया. डॉ होनिगबर्गर बाद में कलकत्ता गए और वहां अभ्यास शुरू किया, जहां उन्हें मुख्य रूप से ‘कॉलरा डॉक्टर’ के नाम से जाना जाता था. होम्योपैथी की शुरुआत 19 वीं शताब्दी में भारत में हुई थी. यह पहले बंगाल में फला-फूला, और फिर पूरे भारत में फैल गया.

होम्योपैथी भारत में लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. हमारा देश वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी होम्योपैथिक दवा निर्माताओं और निर्यातकों में से एक है. भारत में, होम्योपैथी आयुर्वेद के रूप में लोकप्रिय है, दोनों आयुष मंत्रालय के दायरे में आते हैं. पिछले कुछ समय में आयुष मंत्रालय ने भारत में होम्योपैथी के प्रोत्साहन के लिए कई प्रयास किए हैं. इन प्रयासों के कारण भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अब इलाज की इस प्रक्रिया को अपनाने लगा है.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ता कोरोना संक्रमण, 30 अप्रैल तक मैदानी इलाकों में स्कूल बंद, पढ़ें विस्तृत खबर

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में सुरक्षाबलों के वाहन पर आतंकी हमला, दो जवान शहीद; 2...

0
श्रीनगर। कश्मीर संभाग के बारामुला जिले में एलओसी के पास गुरुवार को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने गश्त पर निकले एक सैन्य वाहन पर घात...

दिल्ली एयरपोर्ट से खालिस्तानी आतंकी गिरफ्तार

0
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को भारत में खालिस्तानी आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करने के अपने प्रयासों में एक बड़ी सफलता मिली है।...

एक्शन मोड में नायब सरकार, चार मंत्रियों ने ली विभागीय अधिकारियों की बैठक

0
चंडीगढ़: विभागों का आवंटन होने के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ-साथ उनके मंत्रिमंडल के साथी मंत्री भी एक्टिव हो गए हैं। गुरुवार...

मुख्य सचिव ने ली अमृत 2 के तहत गठित हाई पावर्ड स्टीयरिंग कमेटी की...

0
देहरादून। सचिवालय में केन्द्रपोषित योजना अमृत 2.0 के तहत गठित हाई पावर्ड स्टीयरिंग कमेटी की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शहरों...

धामी कैबिनेट के फैसले से संवरेगी आर्थिकी

0
देहरादून। कैबिनेट के फैसले को लेकर मत्स्य उत्पादकों में भारी उत्साह है। उन्होंने कहा कि धामी सरकार का यह फैसला उनकी आर्थिकी को संवारने...