नई दिल्ली। भारत और इस्राइल ने सोमवार को नई दिल्ली में एक द्विपक्षीय निवेश समझौते (बीआईटी) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच निवेश को बढ़ावा देना और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है। इस्राइल के वित्त मंत्रालय के मुख्य अर्थशास्त्री शमुएल अब्रामजोन ने कहा कि यह समझौता निवेशकों के लिए स्पष्टता और स्थिरता लाएगा। उन्होंने कहा, पहले से ही दोनों देशों से निवेश हो रहे हैं और हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। यही इस समझौते का मकसद है। अब्रामजोन का मानना है कि यह समझौता भारत-इस्राइल मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का रास्ता भी साफ करेगा। उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि यह समझौता एफटीए की दिशा में भी एक कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच इस विषय पर शुरुआती बातचीत चल रही है।
इस समझौते पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके इस्राइली समकक्ष बेजालेल स्मोटरिच ने सोमवार को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए। हालांकि, अब्रामजोन ने कहा कि एफटीए के लागू होने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। उन्होंने आगे कहा, फिलहाल वैश्विक स्तर पर स्थिति ऐसी है, जहां भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ व्यस्त है और इस्राइल भी अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है। लेकिन जब ये प्राथमिकताएं थोड़ी स्पष्ट होंगी, तो मुझे विश्वास है कि हम भारत-इस्राइल एफटीए पर भी चर्चा का समय निकाल पाएंगे।
जब उनसे पूछा गया कि दोनों देशों के बीच कितना व्यापार होता है, तो उन्होंने कहा, हमारे पास कोई आधिकारिक लक्ष्य नहीं है, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि हम आसानी से व्यापार और निवेश को दोगुना या तीन गुना कर सकते हैं। अब्रामजोन ने यह भी कहा कि भारत-इस्राइल व्यापार केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सेवा क्षेत्र में भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा, सेवा क्षेत्र में भी बहुत संभावनाएं हैं- तकनीक और वित्तीय सेवाएं। हम चाहते हैं कि भारतीय वित्तीय कंपनियां इस्राइल में काम करें। जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ को इस्राइल कैसे देखता है, तो उन्होंने कहा कि यह अस्थायी स्थिति है और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि यह स्थिति अस्थायी है। भारत और अमेरिका पुराने साझेदार हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल है। मुझे भरोसा है कि टैरिफ कम करने पर सहमति बन जाएगी।
भारत के कृषि क्षेत्र को अमेरिका के लिए खोलने के मुद्दे पर अब्रामजोन ने कहा, हर देश को अपने हितों का संतुलन बनाना होता है। भारत का कृषि क्षेत्र बहुत बड़ा है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि वह अपने किसानों की सुरक्षा करना चाहता है। अमेरिका भी अपने किसानों के लिए बाजार खोलना चाहता है। यह पूरी तरह से हितों का संतुलन है। इस्राइली अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत के पास इस्राइल के बुनियादी ढांचे में निवेश के बड़े अवसर हैं। उन्होंने बताया, अदाणी की ओर से हाइफा पोर्ट में निवेश हाल के वर्षों की बड़ी उपलब्धि है। मैं इससे बहुत खुश और उत्साहित हूं। खासतौर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारतीय कंपनियों के लिए बहुत संभावनाएं हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इस्राइल ‘मेक इन इंडिया’ अभियान में भारत का बड़ा भागीदार है। उन्होंने कहा, इस्राइल एक छोटा देश है और उसके पास वह निर्माण क्षमता नहीं है जो भारत के पास है, इसलिए हम भारत के साथ साझेदारी करना पसंद करते हैं और कर भी रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि इस्राइल निर्माण क्षेत्र में भारत और चीन में से किसके साथ ज्यादा काम करना चाहता है, तो उन्होंने जवाब दिया, हम तुलना नहीं कर रहे हैं। हम भारत पर फोकस कर रहे हैं और हमें भारत में पूरा भरोसा है। उन्होंने बताया कि इस्राइली वित्त मंत्रालय भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, हम आपके बाजार पर बहुत विश्वास करते हैं और आने वाले साल में हम इस पर फोकस करेंगे। इसलिए हम चाहते हैं कि वित्त मंत्रालय की ओर से दिल्ली में प्रतिनिधित्व हो, जिससे हम निवेश, तकनीकी सहयोग जैसी चीजों को और आगे बढ़ा सकें।
भारत ने इस्राइल के साथ आपसी निवेश बढ़ाने और उसकी सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किया है। समझौते में निवेश को जब्त होने से बचाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने, सुचारू हस्तांतरण और नुकसान की भरपाई के प्रावधान हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार इस्राइल पहला आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) सदस्य है, जिसके साथ भारत ने ऐसा समझौता किया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा, समझौते से मध्यस्थता के माध्यम से स्वतंत्र विवाद समाधान तंत्र स्थापित करने की उम्मीद है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश वर्तमान में सात हजार करोड़ रुपये है। निवेश बढ़ने से दोनों देशों के व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि दोनों पक्षों को समझौते से लाभ पाने के लिए निवेश के अवसरों का पता लगाने हेतु अधिक व्यावसायिक संपर्क करना चाहिए। समझौते पर सीतारमण और इस्राइल के वित्त राज्य मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच ने नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए। मंत्रियों ने फिनटेक नवाचार, बुनियादी ढांचे के विकास, वित्तीय विनियमन, डिजिटल भुगतान कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता पर बल दिया। बता दें, भारत सऊदी अरब, कतर, ओमान, स्विट्जरलैंड, रूस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ समेत एक दर्जन से अधिक देशों के साथ द्विपक्षीय निवेश संधियों पर भी सक्रिय रूप से बात कर रहा।
भारत ने 2024 में केंद्र ने यूएई और उज्बेकिस्तान के साथ इन संधियों के कार्यान्वयन की घोषणा की थी। केंद्र ने बीआईए के तहत इस्राइली निवेशकों के लिए लोकल रेमेडीज एग्जॉशन पीरियड (घरेलू कानूनी प्रक्रिया) को 5 वर्षों से घटाकर 3 वर्ष कर दिया है। पिछले साल लागू हुए यूएई के साथ भारत के निवेश समझौते में भी ऐसा प्रावधान था। भारत-इस्राइल के निवेशकों को सुविधा देने के उद्देश्य से किए गए बीआईए में पोर्टफोलियो निवेश भी शामिल है, जो पहले हुई ऐसी संधियों से अलग है। लोकल रेमेडीज एग्जॉशन का मतलब है कि निवेशकों को पहले मेजबान देश की कानूनी प्रणाली का इस्तेमाल कर विवादों को सुलझाने का प्रयास करना होगा। बाद में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में ले जा सकते हैं। अमूमन, भारत इसके लिए 5 साल की अवधि रखता है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत-इस्राइल बीआईए पर भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि की तर्ज पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
भारत-इस्राइल ने द्विपक्षीय निवेश समझौते पर किए हस्ताक्षर
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