जिस भारतीय रेलवे को कभी घाटे का सौदा बताया जाता था आज वही देश में सरकार के लिए खूब कमाई कर रही है। दरअसल, अगस्त 2022 की समाप्ति तक भारतीय रेलवे के रेवेन्यू में करीब 38% की बढ़ोतरी हुई है। केवल इतना ही नहीं भारतीय रेलवे ने यात्री यातायात में 116% की बेतहाशा वृद्धि दर्ज की। पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार में भारतीय रेलवे ने तेजी से अपनी स्वरूप को बदलकर विकास की धारा में स्वयं को शामिल किया है।
आज भारतीय रेलवे अपने साथ-साथ देश के उन तमाम हिस्सों का कायाकल्प करने में लगी है जो पीछे छूट गए थे। देश के जिन क्षेत्रों से सम्पर्क स्थापित नहीं हो सका है उन्हें रेलवे के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। ऐसे तमाम कार्य भारतीय रेलवे के माध्यम से किए गए हैं। भारतीय रेलवे के जरिए यात्रियों को बेहतर से बेहतर सुविधा दी जा रही है। इस प्रकार भारतीय रेलवे देश में विकास की गति को नए आयाम दे रही है। यही कारण है कि आज भारतीय रेलवे लाभ कमाने की स्थिति में आ गई है।
आंकड़े बताते हैं कि अगस्त 2022 के अंत में यात्री यातायात से प्राप्त रेलवे का कुल राजस्व बीते साल के मुकाबले 116% की वृद्धि के साथ 95,486.58 करोड़ रहा। इसमें करीब 26,271.29 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। यह बढ़ोतरी करीब 38% है। जबकि पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के दौरान रेलवे का कुल राजस्व 1,91,278.29 करोड़ रुपए रहा था।
रेलवे की कहां-कहां बढ़ी कमाई ?
आरक्षित व अनारक्षित दोनों श्रेणियों में पिछले साल की तुलना में राजस्व की बढ़ोतरी हुई है। इसमें लंबी दूरी की आरक्षित मेल एक्सप्रेस ट्रेनों की वृद्धि यात्री और उपनगरीय ट्रेनों की तुलना में तेज रही है। वहीं अन्य कोचिंग रेवेन्यू 2,437.42 करोड़ रुपए रहा है। यह बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में 811.82 करोड़ रुपए है। तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार कोचिंग रेवेन्यू में 50% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
पार्सल में भी रेलवे की कमाई में बढ़ोतरी
वहीं भारतीय रेलवे ने इस साल पार्सल सेवा से भी खूब राजस्व कमाया है। इस साल अगस्त के अंत तक गुड्स रेवेन्यू 10,780.03 करोड़ रुपए से बढ़कर 65,505.02 करोड़ रुपए हो गया है। इस वृद्धि में कोयला परिवहन के अलावा खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, खनिज तेल, कंटेनर यातायात और शेष अन्य सामान के पार्सल्स का विशेष योगदान रहा जबकि विविध राजस्व 2,267.60 करोड़ रुपए था। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1,105 करोड़ रुपए या 95 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
विकास की गति को नया आयाम दे रही भारतीय रेलवे, रखेगी भविष्य की नींव
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2050 तक की यातायात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिहाज से राष्ट्रीय रेल योजना (NRP) 2030 तैयार की गई है ताकि 2030 तक बुनियादी ढांचे को विकसित किया जा सके। माल ढुलाई से प्राप्त राजस्व में फिलहाल 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने और 2030 तक यातायात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए NRP के आधार पर, 2024 तक बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए एक विजन दस्तावेज तैयार किया गया है। विजन 2024 दस्तावेज में प्राथमिकता वाली सभी परियोजनाओं को उनके पूरा होने की निर्धारित तारीखों और संसाधनों के आवंटन के साथ दिया गया है।
विजन 2024 के अंतर्गत 14,000 किलोमीटर मार्ग पर अनेक पटरियां बिछाने, समूचे रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण, महत्वपूर्ण मार्गों पर गति को अपग्रेड कर उसे 130 किलोमीटर प्रति घंटा (केएमपीएच) और 160 केएमपीएच करने (वर्तमान गति संभावित 110 केएमपीएच), महत्वपूर्ण कोयला संपर्क और बंदरगाह संपर्क को पूरा करने की योजना बनाई गई है। इस दिशा में भारतीय सरकार और भारतीय रेलवे तेजी से कार्य कर रही है।
बताना चाहेंगे कि प्राथमिकता वाली इन तमाम परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त धनराशि जुटाने के लिए गैर-परम्परागत तंत्र तैयार किया गया है। भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) पर्याप्त अधिस्थगन अवधि (मोराटोरियम पीरियड) के साथ संसाधन जुटा रहा है और परियोजनाओं को अधिस्थगन अवधि समाप्त होने से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। इन प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को इस तरह से बनाया जा रहा है कि वे ऋण पर ब्याज और मूल राशि की अदायगी के लिए आवश्यक नकदी प्रदान कर पर्याप्त मुनाफा देंगी। मसौदा योजना को सार्वजनिक कर दिया गया है और अब इसे टिप्पणियों के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच घुमाया जा रहा है। रेल मंत्रालय का लक्ष्य योजना को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना है।
स्टेशन विकास और आधुनिकीकरण
इसके अलावा रेलवे स्टेशन विकास और आधुनिकीकरण पर भी खासा काम कर रही है। इसके तहत गांधीनगर, हबीबगंज और अयोध्या स्टेशनों के विकास का काम तेजी से किया गया है। स्टेशनों के विकास के लिए रेलवे साझेदारी का तरीका अपना रहा है और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर नई दिल्ली, छत्रपति शिवाजी मुंबई टर्मिनल, नागपुर, ग्वालियर, साबरमती, अमृतसर, पुड्डुचेरी, नेल्लोर, देहरादून और तिरुपति स्टेशनों के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) आमंत्रित किया गया।
सुरक्षा
- ट्रेनों में यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देने के लिए “मेरी सहेली” पहल की गई
- जनवरी 2019 में ब्रॉड गेज पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया
- मानव युक्त क्रॉसिंग फाटकों को समाप्त करने के कार्य में तेजी
- पटरियों में सुधार का बकाया कार्य तेजी से कम हो गया
- जनवरी 2018 से आईसीएफ कोचों का उत्पादन बंद सुरक्षित एलएचबी कोच
- पुरानी मैकेनिकल सिग्नलिंग के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक सिगनलिंग के कार्य में तेजी
कोचों का आधुनिकीकरण
भारत सबसे शक्तिशाली रेलवे इंजन का उत्पादन करता है। अब भारत कोचों का आधुनिकीकरण पर भी काम कर रहा है। प्रतिष्ठित मेड इन इंडिया परियोजना 120 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्चतम गति के साथ एचएचपी लोकोमोटिव होने के नाते 12000 एचपी बना रही है।
स्टेशनों पर यात्रियों के लिए अधिक सुविधाएं
- बीएफएआर पर 32 एस्केलेटर और 66 लिफ्ट प्रदान की गई हैं, 774 एस्केलेटर और 642 लिफ्टों को भारतीय रेल के लिए प्रदान किया गया
- हवाई अड्डे के मानकों की तरह अब 893 रेलवे स्टेशन बेहतर रोशनी के स्तर के साथ उपलब्ध कराए गए
- बेहतर ट्रेन सूचना प्रदर्शन कोच मार्गदर्शन प्रणाली 673 स्टेशनों पर है, जबकि ट्रेन संकेत बोर्ड अब 1208 स्टेशनों पर चालू हैं
- 500 रेलवे स्टेशन आईएसओ : 14001 के पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए प्रमाणित
- वित्त वर्ष 20-21 में (अब तक) 96 फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) प्रदान किए गए
- 6 हजार से अधिक रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई प्रदान किया गया
श्रमिक स्पेशल: प्रतिकूल परिस्थिति में चलाई आशा की ट्रेनें
याद हो कोविड-19 महामारी और संबंधित लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासियों के जीवन और आजीविका दोनों जब ठप पड़ गए थे। तब ऐसी स्थिति में भारतीय रेलवे ने बहुत से लोग तत्काल उनके घरों और गांवों में वापस ले जाने का प्रबंध किया था। इस विशेष व्यवस्था के तहत पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन को 1 मई, 2020 को रवाना किया गया था। अधिकतम ट्रेनें उत्तर प्रदेश (1,726) और बिहार (1,627) के लिए चलाई गई। राज्य सरकारों के अनुरोधों के जवाब में 1 मई और 31 अगस्त, 2020 के बीच 4,621 ट्रिप के माध्यम से 23 राज्यों में करीब 63.15 लाख यात्रियों ने श्रमिक एक्सप्रेस से यात्रा की।
यह सरल नहीं था क्योंकि सामने कोरोना महामारी मुंह बाए खड़ी थी। ऐसे में श्रमिक स्पेशल चलाते समय रेलवे को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। फिर भी, सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि भयंकर गर्मी के महीनों के दौरान देश के कुछ सबसे गर्म इलाकों से होकर जाने वाले 63.15 लाख यात्रियों को पर्याप्त भोजन और पानी मिले। उदाहरण के लिए, दानापुर रेलवे स्टेशन ने भोजन के कुल 22.79 लाख पैकेट प्रदान किए, और 1773 ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों को 28.75 लाख पानी की बोतलें प्रदान की। इसी तरह, पश्चिम रेलवे ने IRCTC की सहायता से भोजन के लगभग 1.2 करोड़ पैकेट और पानी की 1.5 करोड़ बोतलें वितरित कीं।