28.8 C
Dehradun
Sunday, July 13, 2025

आईएनएस विक्रांत : आजाद भारत का पहला विमान वाहक पोत, 1971 के युद्ध का हीरो |Postmanindia

लड़ाई चाहे लहरों पर हो या गहरे समुद्र में, समुद्री सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी नौसेना बखूबी निभाती है. बात जब नौसेना की हो और उसमें आईएनएस विक्रांत का जिक्र न हो, यह संभव नहीं. 4 मार्च का दिन नौसेना के गौरवशाली इतिहास में खासी अहमियत रखता है. 4 मार्च, 1961 को ही आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. आईएनएस विक्रांत का इतिहास काफी दिलचस्प है. वही युद्धपोत जो एचएमएस हरक्यूलिस से आईएनएस विक्रांत बना. और लंबे समय तक अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हो गया. आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना का पहला विमान वाहक पोत था.

हरक्यूलिस से बन गया विक्रांत

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शाही नौसेना के लिए छह राजसी श्रेणी के विमान वाहक (मैजेस्टिक, टेरिबल, मैग्नीफिसेंट, पॉवरफुल, हरक्यूलिस और लेविथान) बनाए गए, जिसमें से हरक्यूलिस पांचवां जहाज था. इस जहाज का निर्माण ब्रिटेन के विकर्स-आर्मस्ट्रॉन्ग शिपयार्ड पर हुआ था. युद्ध के बाद यह ब्रिटिश सरकार द्वारा संरक्षण की स्थिति में 10 साल तक रखा गया था. बाद में भारत ने इसे ब्रिटेन की रॉयल नेवी से वर्ष 1957 में खरीद लिया. भारत में आने के बाद में इसका नाम विक्रांत रखा गया, जो कि संस्कृत के विक्रांतः, शब्द से लिया गया है जिसका हिन्दी में अर्थ “साहसी” है या फिर शाब्दिक अर्थ “बाधाओं/सीमाओं के पार जाना”. यह युद्धपोत 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया तथा 31 जनवरी 1997 को इसकी सेवाएं समाप्‍त हो गईं, यानी कि बेड़े से हटा दिया गया.

1971 युद्ध का हीरो

1971 के युद्ध अभियानों में, भारतीय नौसेना ने युद्धक रसद और महत्वपूर्ण भंडारों को ले जाने वाले कई पाकिस्तानी जहाजों को डूबा दिया था. आईएनएस विक्रांत के डेक से ही लड़ाकू विमान, दुश्मन के बंदरगाह और चटगांव व खुलना में हवाई पट्टियों पर हमला किया और जहाजों, रक्षा सुविधाओं और प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया था. कराची में दो मिसाइल हमलों के साथ विक्रांत से किए गए हवाई हमलों ने पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया. 

आईएनएस विक्रांत से जुड़े रोचक तथ्य

  • कैप्टन प्रीतम सिंह विक्रांत के पहले कमांडिंग ऑफिसर थे.
  • इस पोत की लम्बाई 260 मीटर तथा चौड़ाई 60 मीटर है.
  • इसकी अधिकतम गति 25 समुद्री मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलता था.
  • विक्रांत की लंबाई 192 मीटर, बीम 24.4 मीटर और ड्राफ्ट 7.3 मीटर था.
  • आईएनएस विक्रांत ने सन 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध और 971 के बांग्लादेश मुक्ति में पाकिस्तान की नौसेना की घेराबंदी में अहम भूमिका निभाई थी.
  • बांग्लादेश को आज़ाद करने के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण इससे जुड़े अधिकारियों को दो महावीर चक्र और 12 वीर चक्र मिले.
  • कई दिग्गज नौसैनिकों और वायुयान चालकों ने इस पोत पर प्रशिक्षण प्राप्‍त किया, पूर्व नौसैनिक प्रमुख एडमिरल आरएच तहिलयानी पोत के डेक पर हवाई जहाज उतारने वाले पहले भारतीय थे.
  • 36 वर्ष की सर्विस के बाद 31 जनवरी, 1997 में ये कहते हुए इसकी सेवा समाप्त कर दी गई कि पोत का रखरखाव संभव नहीं है.
  • 2012 तक मुंबई में बतौर म्यूजियम रखा गया था.
  • अप्रैल, 2014 में इस पोत को डिस्मेंटल कर कबाड़े में बेचने का फैसला किया, जिसका काफी विरोध हुआ, इसके पश्चात् एक नीलामी में 60 करोड़ रुपये में शिप ब्रेकिंग कंपनी आईबी कमर्शियल्स को बेच दिया गया.

पुनर्निर्माण

अगस्त 2013 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसका बड़े पैमाने पर नवीनीकरण करने की जानकारी दी गई. अब पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के निर्माण का काम पूरा हो गया और यह अब इसके परीक्षण के लिए बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में उतारा गया है. स्वदेशी तकनीक से बनाए गए आईएनएस विक्रांत को साल 2023 तक नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है.

ये भी पढ़ें: कोटद्वार का बदला नाम, मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img
spot_img

Latest Articles

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में बड़ी उपलब्धि, गगनयान की उड़ान...

0
बेंगलुरु। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस माड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है। इस सिस्टम का 350 सेकेंड तक हॉट...

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर 30 जुलाई को हो सकती है JPC की अगली...

0
नई दिल्ली। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अगली बैठक 30 जुलाई को होने की संभावना है। समिति के...

स्वियातेक पहली बार बनीं विंबलडन चैंपियन, एक भी गेम नहीं जीत सकीं अमांडा; 114...

0
लंदन: स्वियातेक ने फाइनल में अमांडा एनिसिमोवा को एकतरफा अंदाज में लगातार सेटों में 6-0, 6-0 से हराया। अमांडा का प्रदर्शन इतना निराशाजनक रहा...

सरकार देवभूमि के देवत्व को अक्षुण्ण रखने को प्रतिबद्धः सीएम धामी

0
देहरादून। राजकीय सेवाओं के चयन में पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता पर बात करते हुए एवं राज्य के युवाओं का आह्वान करते हुए सीएम धामी ने...

राष्ट्रीय खेलों के बाद उत्तराखंड में खेलों की नई उड़ान, सीएम धामी ने दिए...

0
देहरादून। उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब राज्य सरकार खेलों को लेकर नई दृष्टि और रणनीति के साथ...