23.7 C
Dehradun
Thursday, September 11, 2025


spot_img

खड़ी पहाड़ी पर भी चढ़ जाएगा ‘जोरावर’ टैंक, सेना में शामिल होने से पहले रचा अद्भुत कीर्तिमान

हजीरा। भारत की सैन्य क्षमता लगातार मजबूत हो रही है। इसी सिलसिले में दो वर्ष के रिकॉर्ड समय में स्वदेशी हल्के टैंक को बनाया गया है जो खड़ी पहाड़ी पर आसानी से चढ़ सकता है। चीन के साथ सीमा विवाद के बीच विकसित यह टैंक रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के पथ पर बढ़ते भारत की शक्ति का प्रमाण है। इस टैंक के सेना में शामिल होने के बाद पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की ताकत और बढ़ेगी।
गलवन में चीन से झड़प के बाद तनाव के बीच लद्दाख सीमा पर इस टैंक की जरूरत महसूस हो रही थी। इस टैंक का नाम जोरावर रखा गया है। शनिवार को इस टैंक की झलक दिखी। पहली बार किसी टैंक को इतने कम समय में डिजाइन कर परीक्षण के लिए तैयार किया गया है। इसका नाम डोगरा राजवंश के जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है। जनरल जोरावर ने पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और प्राइवेट कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) ने इस टैंक को विकसित किया है। इसका परीक्षण अंतिम चरण में है। डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने शनिवार को गुजरात के हजीरा स्थित एलएंडटी संयंत्र में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की। डॉ. कामत ने कहा कि वर्ष 2027 में इस टैंक को सेना में शामिल किया जा सकता है। सशस्त्र बल में जोरावर को शामिल करने के बाद 59 टैंक शुरू में सेना को दिए जाएंगे। वायुसेना के सी-17 श्रेणी के परिवहन विमान में एक बार में दो टैंकों की आपूर्ति कर सकती है क्योंकि यह टैंक हल्का है और इसे पहाड़ी घाटियों में उच्च गति से चलाया जा सकता है।
डीआरडीओ स्वदेशी रूप से गोला-बारूद विकसित करने के लिए भी तैयार है। रूस और यूक्रेन संघर्ष से सबक सीखते हुए डीआरडीओ और एलएंडटी ने टैंक में घूमने वाले हथियारों के लिए यूएसवी को इंटीग्रेट किया है। डीआरडीओ प्रमुख ने बताया कि दो से ढाई साल में हमने न केवल इस टैंक को डिजाइन किया है, बल्कि इसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया है। अगले छह महीनों में पहले प्रोटोटाइप का विकास परीक्षण किया जाएगा।
जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। इस अवसर पर बोलते हुए एलएंडटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने कहा कि यह डीआरडीओ और एलएंडटी का संयुक्त प्रयास है। दुनिया में कहीं भी इतने कम समय में कोई नया प्रोडक्ट तैनात नहीं किया गया है। यह डीआरडीओ और एलएंडटी दोनों के लिए एक अद्भुत उपलब्धि है।
डीआरडीओ टैंक लैब के निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि आम तौर पर तीन प्रकार के टैंक होते हैं। वजन के आधार पर तीन श्रेणियां होती हैं। भारी टैंक, मध्यम टैंक और हल्के टैंक। हर एक की अपनी भूमिका है। एक सुरक्षा के लिए है, दूसरा आक्रमण के लिए है, लेकिन हल्के टैंक सुरक्षा के साथ आक्रामक भूमिका भी निभाते हैं। इसलिए कई देश हल्के टैंक बना रहे हैं।

spot_img

Related Articles

Latest Articles

PM मोदी ने इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी से की बातचीत, यूक्रेन संघर्ष को...

0
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी के साथ भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त...

‘क्रिप्टोकरंसी को पूरी तरह नियंत्रित करने वाला कानून नहीं बनाएगी सरकार, रिपोर्ट में खुलासा

0
नई दिल्ली। भारत सरकार क्रिप्टोकरंसी को लेकर ऐसा कानून बनाने के पक्ष में नहीं है, जो इसे पूरी तरह से नियंत्रित करे। इसके बजाय,...

अनिल अंबानी के खिलाफ ईडी की नई कार्रवाई, SBI से जुड़े 2929 करोड़ के...

0
नई दिल्ली: रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन...

नेपाल के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 25 की मौत, 600 से ज्यादा...

0
काठमांडू। नेपाल में जेन-जेड समूह के नेतृत्व में दो दिन चले सरकार विरोधी हिंसक आंदोलन में 25 लोगों की मौत हो गई, जबकि 600...

सोशल मीडिया पर फेमस होने का शौक ले पहुँचा थाने

0
देहरादून: सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो, जिसमें एक युवक द्वारा पिस्तौल से बर्थडे केक काटा जा रहा है, उक्त वायरल वीडियो का संज्ञान...