26.1 C
Dehradun
Thursday, September 11, 2025


spot_img

जाने सावन माह में क्यों की जाती है कांवड़ यात्रा, करना पड़ता है इन नियमों का पालन

हर साल सावन माह में कांवड़ यात्रा की जाती है। दूर-दूर से कांवड़ यात्री देवभूमि आते हैं। गंगा से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान देवभूमि उत्तराखंड में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। पूरी देवभूमि केसरिया हो जाती है। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तजनों को कांवड़िया कहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा का क्या अर्थ है। ये यात्रा हर साल क्यों की जाती है। तो आइये आज आपको इस लेख में हम कांवड़ यात्रा के इतिहास और इसके महत्तव के बारे में बताते हैं।

कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर जलाभिषेक करने की परंपरा कांवड़ यात्रा कहलाती है।वहीं आनंद रामायण में भी यह उल्‍लेख किया गया है कि भगवान राम ने भी कांवड़िया बनकर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया था।कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ यात्री वही गंगाजल लेकर शिवालय तक जाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

कांवड़ यात्रा आरंभ होने की दो कथा

कहा जाता है कि भगवान परशुराम पहले कांवड़ियां थे। उन्होनें महादेव को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। तभी से हर साल कांवड़ यात्रा की शुरुआत की गई।

हालांकि कुछ मान्यताओं के अनुसार, कांवड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने त्रेता युग में की थी। श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान की इच्छा व्यक्त की। ऐसे में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बिठा कर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। लौटते समय अपने साथ गंगा जल लेकर आए जिसे उन्होंने भगवान शिव का अभिषेक किया। माना जाता है कि इसके साथ ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

पौराणिक काल में जब समुद्र मंथन किया गया था तो समुद्र मंथन से निकले विष को पान कर भगवान शिव ने दुनिया की रक्षा की थी। वहीं इस विष को पीने के काऱण उनका गला नीला पड़ गया था। कहते हैं इसी विष के प्रकोप को कम करने और उसके प्रभाव को ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। इस जलाभिषेक से प्रसन्न होकर भगवाना भक्‍तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

कांवड़ बनाने में बांस, फेविकोल, कपड़े, डमरू, फूल-माला, घुंघरू, मंदिर, लोहे का बारिक तार और मजबूत धागे का इस्तेमाल करते हैं। कांवड़ तैयार होने के बाद उसे फूल- माला, घंटी और घुंघरू से सजाया जाता है। इसके बाद गंगाजल का भार पिटारियों में रखा जाता है। धूप-दीप जलाकर बम भोले के जयकारों ओर भजनों के साथ कांवड़ यात्री जल भरने आते हैं और भगवान शिव को जला जढ़ाकर प्रसन्‍न होते हैं।

कांवड़ यात्रा में आने के लिए यात्रियों को कुछ नियमों का पालन करना होता है। जिसके लिए उन्हें बिना नहाए कांवड़ को नहीं छूना होता। तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग वो यात्रा में नहीं करते। सभी कांवड़ यात्री एक-दूसरे को भोला या भोली कहकर बुलाते हैं। ध्‍यान रखना होता है कि कांवड़ जमीन से न छूए।

सामान्य कांवड़में यात्री कहीं भी आराम कर सकता है। लेकिन इस दौरान उन्हें ध्यान रखना होता है कि आराम करने के दौरान उनमकी कांवड़ जमीन से नहीं छूनी चाहिए। इस दौरान कांवड़ स्टैंड पर रखी जाती है।

डाक कांवड़ में यात्री शुरुआत से शिव के जलाभिषेक तक बगैर रुके लगातार चलते रहते हैं। वहीं इस दौरान शरीर से उत्सर्जन की क्रियाएं वर्जित होती हैं।

खड़ी कांवड़ में भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनकी मदद के लिए कोई-न-कोई सहयोगी उनके साथ चलता रहता है।

दांडी कांवड़ में भक्त नदी तट से शिवधाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं। यह बेहद मुश्किल यात्रा होती है, जिसमें कई दिन और कभी-कभी एक माह का समय तक लग जाता है।

spot_img

Related Articles

Latest Articles

PM मोदी ने इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी से की बातचीत, यूक्रेन संघर्ष को...

0
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपनी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी के साथ भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त...

‘क्रिप्टोकरंसी को पूरी तरह नियंत्रित करने वाला कानून नहीं बनाएगी सरकार, रिपोर्ट में खुलासा

0
नई दिल्ली। भारत सरकार क्रिप्टोकरंसी को लेकर ऐसा कानून बनाने के पक्ष में नहीं है, जो इसे पूरी तरह से नियंत्रित करे। इसके बजाय,...

अनिल अंबानी के खिलाफ ईडी की नई कार्रवाई, SBI से जुड़े 2929 करोड़ के...

0
नई दिल्ली: रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन...

नेपाल के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक 25 की मौत, 600 से ज्यादा...

0
काठमांडू। नेपाल में जेन-जेड समूह के नेतृत्व में दो दिन चले सरकार विरोधी हिंसक आंदोलन में 25 लोगों की मौत हो गई, जबकि 600...

सोशल मीडिया पर फेमस होने का शौक ले पहुँचा थाने

0
देहरादून: सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो, जिसमें एक युवक द्वारा पिस्तौल से बर्थडे केक काटा जा रहा है, उक्त वायरल वीडियो का संज्ञान...