पंचांग के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 28 सितंबर को नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघटा की पूजा का विधान है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मां चंद्रघटा अपने शांत और सौम्य स्वरूप के लिए जानी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं. नवरात्रि की तीसरे दिन मां की पूजा करते समय ये व्रत कथा पढ़ने और सुनने से ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की व्रत कथा.
मां चंद्रघंटा की व्रत कथा
असुरों का आतंक बढ़ने पर मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा का अवतार लिया और उन्हें सबक सिखाया. पुराणों के अनुसार राजा इंद्र का सिंहासन राजा महिषासुर हड़पना चाहता था, जो कि दैत्यों के राजा थे. इसलिए देवताओं और दैत्य सेना के बीच में युद्ध शुरू हो गया. राजा महिषासुर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहते थे और उनकी इस बात से सभी देवता बहुत परेशान थे. राजा महिषासुर से परेशान होकर सभी देवता त्रिदेव के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई.
देवताओं की बात सुनककर त्रिदेव क्रोधित हो गए और तुरंत उनकी समस्या का हल निकाला. इस दौरान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई, जिसने देवी चंद्रघंटा का रूप लिया. देवी को भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र, इंद्र ने घंटा, सूर्य देव ने तेज व तलवार और बाकी अन्य देवताओं ने अपने अस्त्र और शस्त्र दे दिए. ये सब चीजें मिलने के बाद उनका नाम चंद्रघंटा रखा गया. देवताओं की परेशानी का हल निकालने और उन्हें बचाने के लिए मां चंद्रघंटा महिषासुर के पास पहुंचीं. महिषासुर ने मां चंद्रघंटा को देखते ही उन पर हमला बोल दिया. युद्ध के दौरान मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया.
मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा के प्रिय पुष्प
बता दें कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं.
मां चंद्रघंटा को लगाएं ये भोग
कल यानी बुधवार के दिन मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. साथ ही, पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करने से आप पर मां की कृपा बरसेगी.
मां चंद्रघंटा का पूजन समय
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 36 मिनट से लेकर प्रातः 05 बजकर 24 मिनट तक.
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 59 मिनट तक.
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 59 मिनट से लेकर 06 बजकर 23 मिनट तक.
अमृत काल- रात 09 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 47 मिनट तक.
रवि योग- प्रातः 05बजकर 52 मिनट से लेकर 29 सितंबर प्रातः 06 बजकर 13 मिनट तक.