नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के वक्त उसी प्रकार दीए की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को.
इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं. (एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. इस उपलक्ष में दीयों की बारत सजायी जाती है.)यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है. मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं.
नरक चतुर्दशी 2021 समय
नरक चतुर्दशी तिथि आरंभ प्रातः 03 नवंबर 2021 प्रातः 09:02
नरक चतुर्दशी तिथि समाप्त प्रातः 04 नवंबर 2021 प्रातः 06:03
नरक चतुर्दशी के दिन ना करें ये काम
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी देर से सोकर नहीं उठना चाहिए. ऐसा करने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है और घर में दरिद्रता आती है.
इस दिन कभी भी घर को पूरी तरह से बंद करके नहीं जाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार से माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और बंद घर से वो वापस लौट जाती हैं.
नरक चतुर्दशी के दिन मांसाहार न करें. ऐसा माना जाता है कि इस दिन जीव जंतुओं को हानि पहुंचाने और मांसाहार करने से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं.
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी झाड़ू को पैर न मारें.
इस दिन लड़ाई-झगड़ा न करें. ऐसा करने से लक्ष्मी जी की कृपा दृष्टि नहीं होती है.
इस दिन घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गन्दगी इकट्ठी नहीं करनी चाहिए. इसे यम की दिशा माना जाता है और इसे गंदा रखने से यमराज नाराज होते हैं.
नरक चतुर्दशी के दिन कभी भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. इससे घर की लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं.