संजय चौहान
हुनर है तो बेजुबान पत्थर भी बोल उठते हैं. बेकार पडी लकड़ी में जान आ जाती है. ऐसे ही हुनरमंद हस्तशिल्पि हैं टिहरी जिले के दिनेश लाल. ये विगत 7 सालों से लकडी पर विभिन्न प्रकार के मंदिरों के डिजाइन, पहाड़ के लोक वाद्य यंत्र, पहाडी घर सहित अन्य कलाकृति बना रहें हैं. लॉकडाउन के दौरान इन्होंने दो महीने में बेजान लकड़ी पर एक पहाडी गांव बना दिया. जिसमें पहाड़ के गांव की हर दिनचर्या उकेरी है. या यों कहिए की पहाड़ के लोकजीवन का सजीव चित्रण किया है. जो भी इस कलाकृति को देख रहा है वो अचंभित हो रहा है.
बकौल दिनेश पहाड़ी गांव को बनाने में दो महीने लग गये. इसमें 95% लकडी का प्रयोग किया गया है जबकि हुबहु गांव दिखने के लिए कुछ असली पत्थर, मिट्टी को जमीन उंची नीचे करने के लिए इस्तेमाल किया है.सारी मूर्तियाँ लकड़ी पर बनी है वह भी सिर्फ एक सेंटीमीटर से कम की लंबाई में. मैं अपने काम से संतुष्ट और बेहद खुश है. दिनेश की हस्तशिल्प कला इतनी बेहतरीन है कि वो सूखी और बेजान लकड़ी में भी इतनी शानदार नक्काशी करते है कि कलाकृति बोल उठती है और जींवत हो उठती है.
यूँ तो दिनेश नें अपनी हस्तशिल्प कला के जरिए दो दर्जन से ज्यादा कलाकृतियों को आकार दिया है. हुक्का, बैल, हल, परेडा/परय्या, लालटेन, चिमनी, कृष्ण भगवान का रथ, तलवार, धनुष, गधा, तीर, ओखली, गंज्यालु, टिहरी का घंटा घर, केदारनाथ मंदिर के डिजायन, अयोध्या मंदिर का डिजाइन सहित दर्जनों कलाकृति सम्मिलित है. जिसमें से पहाड़ी घर, केदारनाथ मंदिर, और ढोल दमाऊं की कलाकृति लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आई है. लोग इन माॅडलो के मुरीद हुये. कई लोगों नें इन माॅडलो को खरीदा भी.
वास्तव मे देखा जाय तो आज हमारी वैभवशाली अतीत का हिस्सा रही बेजोड़ हस्तशिल्प कला आज दम तोडती नजर आ रही है. बस यदा कदा ही लोग बचें है जो इस कला को बचाये हुये हैं. ऐसे मे हमारी जिम्मेदारी बनती है ऐसे हुनरमंदो को प्रोत्साहित करने को और उन्हें बेहतर बाजार उपलब्ध कराने की. अगर आपको दिनेश लाल जी की बनाई कलाकृतियाँ पसंद है तो उनसे इस दूरभाष नंबर पर संपर्क कर अपनी डिमांड दे सकते हैं.