देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद हरिद्वार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के 2019 में निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है। अदालत ने मामले मे 21 सुनवाइयों के बाद याचिका में दिए गये तथ्यों को निराधार और औचित्यहीन मानते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया।
गौरतलब है कि देहरादून निवासी मनीष वर्मा ने डॉ निशंक के निर्वाचन के खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिका दायर की थी। वर्मा ने नामांकन के दौरान डॉ निशंक पर शपथ पत्र में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। हालांकि अदालत ने याचिका से सम्बंधित कोर्ट की कार्यवाही को मीडिया में कुप्रचार और लोकप्रियता हासिल करने की मंशा को लेकर वर्मा को फटकार लगाई थी।
गौरतलब है कि इससे पहले मनीष वर्मा 2012 में सुभारती मेडिकल कॉलेज प्रवन्धन के साथ 30 करोड़़ रूपए की धोखाधड़ी के मामले मे जेल जा चुका है। सुभारती प्रबंधन ने मार्च 2014 में वर्मा के खिलाफ थाना गढ़ी कैंट में मुक़दमा दर्ज कराया था। जांच में सामने आया कि वर्मा ने 100 बीघा जमीन विक्रय कर पैसे हड़प लिए जबकि 64.5 बीघा के कागज फर्ज़ी थे। ज़मानत पर चल रहे वर्मा द्वारा अदालत के आदेशो की अवहेलना तथा अदालत मे हाजिर न होने के मामले मे सुप्रीमकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार कर उत्तराखंड सरकार को वर्मा की ज़मानत याचिका निरस्त करने के लिये आवेदन के निर्देश दिए।
इसके लिए सरकार को अगस्त 2021 का समय दिया गया। कोर्ट मे सरकार की ओर से आवेदन के बाद कोर्ट ने ज़मानत ख़ारिज कर गैर जमानती वारंट जारी कर दिए और इसके बाद मनीष वर्मा उनकी पत्नी नीतू वर्मा तथा भाई संजीव वर्मा ने अदालत मे सरेंडर कर जेल चले गये।