गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम में ऑयल इंडिया लिमिटेड की चार कंप्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) संयंत्रों के निर्माण की शुरुआत की। यह कार्यक्रम स्वच्छ भारत दिवस के अवसर पर देशभर में कई सीबीजी संयंत्रों के लिए आयोजित भूमि पूजन समारोह का हिस्सा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअली इसका उद्घाटन किया। पीएम ने भोपाल में भी एक संयंत्र का उद्घाटन किया। इससे सतत और पारिस्थितिकी-सम्मत ऊर्जा परिदृश्य को बढ़ावा दिया जा सकेगा। असम में प्रमुख ओआईएल परियोजनाएं गुवाहाटी, जोरहाट, शिवसागर और तिनसुकिया में स्थित हैं।
पीएम मोदी ने कहा, गोबर हमारे गांवों में बदलाव ला रहा है। भारत के गांवों में सैकड़ों बायो-गैस संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले गांव वालों के लिए गोबर का प्रबंधन एक समस्या थी, और यदि गाय या बैल उम्र के कारण अप्रभावी हो जाता था तो यह और भी जटिल हो जाता था। लेकिन अब इन बायो-गैस संयंत्रों के आने से अप्रभावी पशुओं का गोबर भी हमारे किसानों की मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, शहरीकरण के कारण कचरे का उत्पादन बढ़ रहा है और नए प्रकार के कचरे जैसे ई-कचरा भी सामने आ रहे हैं। हमें इस मुद्दे को हल करने के लिए नई तकनीकों की आवश्यकता है। उन्होंने भविष्य में निर्माण में पुनर्नवीनीकरण को शामिल करने और नए आवासीय परिसर को न्यूनतम कचरा उत्पन्न करने के लिए डिजाइन करने पर जोर दिया। ऑयल इंडिया लिमिटेड, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ निकट समन्वय में, 2024-25 तक 25 सीबीजी संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) के निवेश या निजी उद्यमियों के साथ साझेदारी के माध्यम से होंगे।
कंपनी के एक बयान में कहा गया, जब भारत साफ ऊर्जा अग्रणी बनने की अपनी दृष्टि की ओर बढ़ रहा है, तो इन सीबीजी संयंत्रों की स्थापना एक हरित और अधिक लचीले भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये संयंत्र उन्नत शून्य तरल निकासी प्रणालियों को शामिल करते हैं, जिससे पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव सुनिश्चित होता है। प्रत्येक संयंत्र हर दिन आसपास के नगर निगमों से 125 टन ठोस शहरी कचरे को संसाधित करने में सक्षम है। इससे कचरे को हर दिन लगभग 2 टन सीबीजी में बदला जाएगा। उत्पन्न बायोगैस को निकटतम उपलब्ध शहर गैस वितरण नेटवर्क में एकीकृत किया जा सकता है या सीधे सीएनजी खुदरा विक्रेताओं को आपूर्ति की जा सकती है।
कंपनी ने कहा, कचरे का इस कुशल उपयोग प्रदूषण को कम करने में योगदान करता है, जबकि साफ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है। यह पहल भारत सरकार की ‘सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन’ और गोबरधन योजना के साथ मेल खाती है, जिसका उद्देश्य सीबीजी के उपयोग को बढ़ावा देना है। कंपनी ने जोर दिया कि ये संयंत्र स्थानीय समुदायों में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए तैयार हैं, जिससे आर्थिक विकास और इन क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार होगा। यह पहल देश की आयातित ईंधनों पर निर्भरता को कम करने में भी योगदान देगी, ऊर्जा स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी।
पीएम मोदी ने असम को दिया चार बायो-गैस इकाइयों का तोहफा, कहा-किसानों को मिलेगी मदद
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