पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे थे जिससे कोई भी अछूता नहीं रहा है. भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो किन्तु पूरे देश में इसने अपने चरम पर दोनों-लहरों में त्राहिमाम मचाया और लाखों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया. अबतक भारत मे 3.42 करोड़ लोगों को कोरोनो हुआ जोकि पूरे विश्व मे चिंताजनक पहले स्थान पर है. कोरोना से लोगो को जान-माल हानि के साथ-साथ आर्थिक मार भी झेलनी पड़ी है. भारत के मध्यम- वर्ग और निचले वर्ग के 90 प्रतिशत आबादी के कई लोगों की नौकरियां-व्यापार पर खतरा मंडराया, तब भी उन्होंने अपने परिवार वालो को बचाने के लिये प्राइवेट हस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो किन्तु प्रदेश में अबतक 3.44 लाख लोगों को कोरोना हुआ है और प्रदेश का डेथ-रेट भी 2.15 प्रतिशत रहा जोकि पूरे भारत मे चिंताजनक दूसरे स्थान पर है.
कोरोनकाल में केंद्र सरकार द्वारा जून 2020 में ” प्राइवेट हस्पतालों के कोरोना मरीजों हेतु चार्ज सुनिश्चित किया गया था ” , किन्तु फिर भी कई राज्यो के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये, अतः इन सबके दृष्टिगत देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा ” अत्यधिक ख़र्च की प्रतिपूर्ति – आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी” के लिये देहरादून, उत्तराखंड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली में जनहित याचिका लगाई। माननीय सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त पीठ ने इस याचिका के ” प्राइवेट हॉस्पिटल के अत्याधिक बिल चार्ज करने की अनियमिताओं , मरीजों को रिफंड जारी करने व पूरे देश के लिये सुनिश्चित गाइडलाइंस जारी करने विषय मे स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।”
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु यह बताया कि पूरे देश में प्राइवेट हस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइंस जारी कर ” प्राइवेट हस्पतालों के कोरोना मरीजों हेतु चार्ज सुनिश्चित किया गया था “, जिसके आधार पर समय-समय पर केंद्र और लगभग सभी राज्यों द्वारा “कोरोना मरीजों के एक-समान दरों की गाइडलाइंस ” जारी की गई थी किन्तु फिर भी देश भर लोगों ने ” अत्यधिक बिल की समस्या” को उठाया किन्तु लोगो को विशेष राहत नही मिली। कोरोना शुरू होने से अबतक देशभर में लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोनो के कारण मजबूरी में प्राइवेट हस्पतालों का रुख लेना पड़ा और अधिकतर लोगों को ” गाइडलाइंस से अधिक बिल” की मार झेलनी पड़ी ।
उल्लेखनीय है कि ” उत्तराखंड सरकार द्वारा 2 सितंबर 2020 को जारी गाइडलाइंस में कोरोना मरीजों हेतू प्राइवेट हस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था – ऑक्सिजन बेड- 8-10 हजार रुपये, आई०सी०यू०- 13-15 हजार रुपये व वेंटिलेटर बेड- 18 हजार रुपये , जिसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जाँच इत्यादि सब ख़र्चे युक्त थे” किन्तु फिर भी राज्य कई हस्पतालों ने मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये, अतः इन सबके दृष्टिगत प्रदेश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा ” अत्यधिक ख़र्च की प्रतिपूर्ति – आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी” के लिये याचिकाकर्ता ने अपने साथियों के साथ प्रदेश भर में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक कर, उनके बिल एकत्रित कर, उनकी बिल प्रतिपूर्ति का विषय माननीय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि इन्ही नियमानुसार हजारों कोरोना पीड़ितों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा पुणे में 6 करोड़ और तेलंगाना में 3 करोड़ रुपये वापिस हुए है, इसी आधार पर हम उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों के अधिक बिल प्रतिपूर्ति हेतु माननीय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में भी लाया जाएगा।
उत्तराखंड के सभी कोरोना पीड़ितों के लिये हेल्पलाइन नम्बर व ईमेल जारी किया, जिसपे कोई भी निवासी अपने या अपने दोस्त/रिश्तेदारों/जानकारों के हॉस्पिटल, दवाई के बिल, कोरोना की रिपोर्ट व डिस्चार्ज summary ईमेल कर सकते है।
उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों के अत्यधिक बिल एकत्रित अभियान में अभिनव थापर के साथ उत्तरकाशी से सामाजिक कार्यकर्ता विजयपाल रावत,”हिमालय बचाओ आंदोलन” से समीर रतूड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता अमित पंत, संग्राम सिंह पुंडीर और प्रदेश के सबसे युवा राज्य आंदोलनकारी-टिहरी से देवेंद्र नौडियाल ने प्रेस वार्ता में प्रतिभाग किया औऱ इस अभियान को पूरे प्रदेश में चलाने का संकल्प लिया।
कोरोना बिल एकत्रित हेल्पलाइन
उत्तराखंड के सभी कोरोना पीड़ितों के लिये हेल्पलाइन नम्बर व ईमेल जारी किया, जिसपे कोई भी निवासी अपने या अपने दोस्त/रिश्तेदारों/जानकारों के हॉस्पिटल, दवाई के बिल, कोरोना की रिपोर्ट व डिस्चार्ज summary – whatsapp या ईमेल कर सकते है: व्हाट्सएप नम्बर – 9870807913
ईमेल id- abhinavthaparuk@gmail.co