नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बाल देखभाल और शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए सार्वजनिक इमारतों में अलग स्थान के महत्व का जिक्र किया और राज्यों से कहा कि वे ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराने से माताओं की निजता सुनिश्चित होगी और ये शिशुओं के लिए भी लाभकारी साबित होंगी। जहां तक संभव हो, मौजूदा सार्वजनिक स्थानों में भी राज्य सरकारें ऐसी सुविधाएं उपलब्ध करा सकती हैं।
पीठ ने कहा, ‘सार्वजनिक स्थानों पर जो सार्वजनिक इमारतें अभी योजना एवं निर्माण के स्तर पर हैं, वहां राज्य सरकारें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि उपरोक्त मकसद के लिए पर्याप्त जगह आरक्षित हो।’ शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कक्ष, बाल देखभाल कक्ष या शिशुओं व माताओं के लिए किसी अन्य सुविधा के निर्माण के निर्देश देने की मांग की गई थी। केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि 27 फरवरी, 2024 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव ने इस मुद्दे पर सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों व प्रशासकों पत्र लिखा था।
पीठ ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि याचिका में की गई मांगों को सचिव की ओर से लिख गए पत्र में शामिल किया गया था। इसके साथ ही कहा कि अगर राज्यों ने इस परामर्श पर अमल किया तो इससे स्तनपान कराते वक्त युवा माताओं और शिशुओं की निजता सुनिश्चित हो सकेगी। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को दो सप्ताह में रिमाइंडर के रूप में परामर्श के साथ-साथ उसके आदेश की एक प्रति भी भेजें।
सु्प्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दिया निर्देश, बोला- महिलाओं के लिए पब्लिक प्लेस पर स्तनपान के लिए बनाएं जगह
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