गिरिजा शंकर जोशी। कभी कभी युवा होने का मतलब लोग उम्र से लगाने लगते हैं…पर उत्तराखंड में एक नई बात सामने आई है, यहां पर अब लोग युवा मतलब पुष्कर धामी कहने लगे हैं….क्यों का जवाब पुष्कर सिंह धामी की कार्य संस्कृति को देखकर लगाया जा सकता है।
क्योंकि जबसे वे मुख्यमंत्री या उनके शब्दों में कहें तो मुख्यसेवक बने हैं शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जिस दिन कोई घोषणा न हुई हो या कोई शासनादेस ना निकला हो, शासन प्रशासन में अब ये बात आम हो चुकी है कि पुष्कर सिंह धामी मतलब काम,काम और सिर्फ काम….अब चींटी की तरह रेंगने वाली हरी फाइलें गोली की रफ्तार से नीचे से ऊपर और और ऊपर से नीचे जा रही है। आपदा के समय उनके द्वारा “राउंड द क्लॉक” किए गए कार्य को कौन भुला सकता है।
आपदा में उनके द्वारा किए गए कार्य की तुलना लोग 2001 में भुज में आए भूकंप के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किए गए कार्यों से करने लगे हैं। लोगों का मानना है की हाल के वर्षों में उत्तराखंड में जो नेतृत्व शून्यता की स्तिथि थी, वो धामी के आने के बाद दूर हुई है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने देहरादून और केदारनाथ दौरे में उन्हें ऊर्जावान,नौजवान और मेरे मित्र कहकर संबोधित करने के पश्चात तो बीजेपी के आंतरिक हलकों में ये बात आम हो चुकी है की अब 2022 में बीजेपी के चुनाव जीतने पर धामी के अलावा कोई दूसरा नेता मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। इतना ही नहीं,जहां एक ओर अमित शाह द्वारा अपने उत्तराखंड दौरे के समय आपदा में धामी द्वारा किए गए कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की गई वहीं राजनाथ सिंह ने तो उन्हें धाकड़ बल्लेबाज कहकर उनके लिए 5 साल मांग लिए ।
इन सब बातों से स्पष्ट है कि एक नया सूरज उत्तराखंड की राजनीति में उदित हो चुका है जिसे कोई युवा तो कोई धाकड़ कह रहा है। पर असली मजा तो ये है कि जो लोग हरीश रावत के आगे धामी को नौसिखिया साबित करने पे तुले हुए थे वे भी अब मान रहे हैं हैं हरीश रावत के मुकाबले में युवा धामी पूरे राज्य में अधिक लोकप्रिय हैं…..
तभी तो अब लोग कहने लगे हैं…..
युवा मतलब पुष्कर धामी…..