उत्तराखंड के दो प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों कार्बेट और राजा जी के समीपवर्ती चयनित राजस्व ग्रामों के समग्र विकास हेतु मंगलवार को जलागम एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने जलागम प्रबंधन निदेशालय द्वारा प्रारंभ की जा रही लगभग 40 करोड़ की जैफ-6 परियोजना का शुभारंभ किया. जलागम मंत्री ने राज्य में सामुदायिक सहभागिता से जलागम विकास की अवधारणा पर कृषि क्षेत्र के आमूलचूल सुधार हेतु एफ.ए.ओ. के माध्यम से अनुदान द्वारा संचालित होने वाली लगभग 40 करोड़ की परियोजना का भी शुभारंभ किया.
जलागम प्रबंधन मंत्री सतपाल महाराज ने जैफ-6 परियोजना की राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ जलागम प्रबंधन निदेशालय के अधिकारियों की उपस्थिति मंगलवार को जलागम प्रबंधन निदेशालय में आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से यह परियोजना उत्तराखंड के दो प्रमुख कॉर्बेट और राजा जी राष्ट्रीय उद्यानों के भू परिदृश्य क्षेत्र में समीपवर्ती गांव के समग्र विकास के लक्ष्य को लेकर नियोजित की गई है उससे मुझे पूर्ण विश्वास है कि परियोजना के माध्यम से चयनित राजस्व ग्रामों में जल संरक्षण संवर्धन और कृषि जैव विविधता संबंधी कार्यों के अलावा स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन संबंधी जो गतिविधियां की जाएगी निश्चित रूप से उससे वहां के ग्राम वासियों को लाभ मिल सकेगा.
महाराज ने कहा कि जैफ-परियोजना में स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर विकसित करने की दिशा में भी काम होगा. साथ ही संरक्षित वन्य जीव क्षेत्रों के समीप होने के कारण परियोजना के गांव में इको टूरिज्म की संभावनाएं भी अवश्य होगी, उन्होंने आशा व्यक्त की, कि परियोजना के माध्यम से क्षेत्र में इको टूरिज्म की संभावनाओं को तलाशने के लिए अध्ययन किया जाएगा. महाराज ने इको टूरिज्म के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार देने की दिशा में परियोजना के माध्यम से गतिविधियां संचालित किये जाने का भरोसा दिलाया. जलागम प्रबंधन मंत्री महाराज ने एफ. ए.ओ. एवं जैफ के सभी प्रतिनिधियों तथा जलागम प्रबंधन निदेशालय के अधिकारी कर्मचारियों और परियोजना क्षेत्रवासियों को जैफ परियोजना के शुभारंभ पर बधाई देते हुए बताया कि परियोजना के अंतर्गत चयनित राजस्व ग्रामों में जलवायु परिवर्तन, न्यूनीकरण, कृषि क्षेत्र सुधार जैव विविधता संरक्षण, मानव वन्यजीव संघर्ष रोकथाम, समन्वय गतिविधियां, समुदाय विकास तथा संवर्धन मूल्य विकास के साथ साथ सतत भूमि एवं वन प्रबंधन गतिविधियां की जाएगी. उन्होंने बताया कि यद्यपि कोविड-19 महामारी के कारण परियोजना प्रारंभ होने में लगभग 1 वर्ष से अधिक का विलंब हुआ है, लेकिन अब 7 वर्षीय यह परियोजना 31 मार्च 2026 तक पूर्ण हो सकेगी. जलागम मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि जलागम विभाग के अंतर्गत कार्यरत महिला प्रेरक जिन्हें पूर्व में ₹2000 की धनराशि मिलता थी उसे बढ़ाकर ₹2500 कर दिया गया है जबकि लेखा सहायक को 4000 से बढ़ाकर 4500, प्रोजेक्ट एसोसिएट 20,000 से बढ़ाकर 25,000, एमआईएस एक्सपर्ट को मिलने वाली राशि 20,000 से बढ़ाकर 25,000 कर दी गई है.
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती मनीषा पंवार एसीएस, चेयरपर्सन, एसपीएससी ने कार्यशाला में बताया कि जलागम प्रबंधन निदेशालय द्वारा पूर्व की भांति इस परियोजना को भी जलागम की धारणा के अनुरूप ही संचालित किया जाएगा. इस संदर्भ में उन्होंने जैफ के भारतीय प्रतिनिधि रोमियों सैकिरी का आभार जताते हुए बताया कि उनके प्रयासों से ही इस परियोजना के लिए उत्तराखंड राज्य का चयन किया गया है.जैफ-एफ.ए.ओ. के उप भारतीय प्रतिनिधि कोडा रेड्डी ने बताया कि यह परियोजना भारत के 5 राज्यों में संचालित हो रही है. परियोजना निदेशक श्रीमती नीना ग्रेवाल ने परियोजना की कार्ययोजना पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखते हुए जैविक खेती द्वारा पारंपरिक फसलों की उत्पादकता को कैसे बढ़ाया जाए, ऐसे नवाचार एवं अध्ययन परियोजना के द्वारा किए जाएंगे.
परियोजना शुभारंभ कार्यशाला में जलागम प्रबंधन निदेशालय के उप परियोजना निदेशक, डा. डीएस रावत, डा. एस.के.सिंह, डा. आर.पी. सिंह, डा. आर.सी. तिवारी, डा. विकास वत्स जैव विविधता विशेषज्ञ, सनातन अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एल.एन.ए, बी. पी. मुख्य वित्त अधिकारी, जलागम प्रबंधन निदेशालय, प्रमेश खंडूरी जी. आई. एस. विशेषण के लिए प्रतिभाग किया. अंत में डा. जे. सी. पाण्डेय, राज्य समन्वयक विशेषज्ञ ने सभी उपस्थित अतिथियों का परियोजना शुभारंभ कार्यशाला में शामिल होने के लिए आभार व्यक्त किया.