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Tuesday, April 22, 2025

कहानी: टिहरी रियासत में जब आया सबसे पहला रेडियो |Postmanindia

रामचन्द्र नौटियाल

बात 1935 की है, रियासत टिहरी पर महाराजा नरेन्द्रशाह का शासन था. रियासत भर में महाराजा के पास ही एकमात्र रेडियो था. लेकिन इस रेडियो को साधारण नागरिक क्या, राज्य के उच्च अधिकारी भी न देख सकते थे और न सुन सकते थे. रियासत के एक धनाढ्य व्यक्ति गुलजारीलाल असवाल ने महाराजा से अनुमति लेकर एक रेडियो खरीदा. रेडियो खरीदने के लिये चार दिन पैदल चलकर मसूरी पहुँचना पड़ा. ‘इमरसन’ कम्पनी के रेडियो एजेन्ट बनवारीलाल ‘बेदम’ से रेडियो खरीद कर कन्धे पर उठाकर लाया गया. रेडियो के टिहरी पहुँचने पर खूब उत्सव मनाया गया.

वह रेडियो जर्मनी की ‘इमरसन’ कम्पनी का बना था, उस पर एक ‘विंड चार्जर’ लगा रहता था, मकान की छत पर ‘विंड चार्जर’ की चर्खी के घूमने से बैटरी चार्ज हुआ करती थी. गुलजारीलाल के मकान के छत पर विचित्र प्रकार की चर्खी घूमते देख कर राह चलते लोग भी रुक जाते और उसके सम्बन्ध में पूछते. फिर तो लोग रेडियो सुनकर ही वापस जाते. वे रेडियो सुनने के लिये घण्टो प्रतीक्षा भी करते. रियासत टिहरी के चीफ सेक्रेटरी इन्द्रदत्त सकलानी, न्यायमूर्ति उमादत्त, डिप्टी सुरेन्द्र दत्त नौटियाल और कंजरवेटर पदमदत्त रतूड़ी इत्यादि लोग भी लाल साहब के घर पर रेडियो सुनने आया करते थे. एक बार रेडियो में कुछ यान्त्रिक खराबी आ गयी. उसके विंड चार्जर की चर्खी घूमनी बन्द हो गई. उसकी मरम्मत के लिये मसूरी से बनवारी लाल ‘बेदम’ को डंडी पर बिठा कर लाया गया. रेडियो की एक मामूली सी गड़बड़ी दूर करने के लिये ‘बेदम’ को दस दिन खर्च करने पड़े. गुलजारी लाल को भी डंडी वाहकों की मजदूरी का भुगतान करना पड़ा. टिहरी निवासियों ने यूनाइटेड किंगडम के राजा जार्ज पंचम की मृत्यु की खबर 1936 के प्रारम्भ में इसी रेडियो से सर्वप्रथम सुनी.

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