उत्तराखंड के पूर्व मुख्य मंत्री हरीश रावत ने चारधाम यात्रा मार्गों से जुड़ा एक बड़ा सुझाव दिया है. हरीश रावत कहते हैं कि पूर्वी यूरोप, पूर्वी एशिया के देशों में बड़े-बड़े राजमार्गों, बड़ी सड़कों में ग्राम सरायें होती हैं. जहां स्थानीय उत्पाद पर्यटकों को अच्छे दामों पर मिल जाते हैं. इससे ग्रामीण शिल्प को प्रोत्साहन मिलता है, ऐसी ग्राम सरायें हमारे अपने पूर्वोत्तर के राज्यों में भी हैं. मैंने वर्ष 2015 में निर्णय लिया कि राज्य के सभी प्रमुख मार्गों पर सराय विकसित किये जायं, उद्वेश्य स्थानीय क्राफ्ट, अनाजों व व्यंजनों के स्टाॅल स्थानीय लोगों, विशेषतः महिला समूहों को उपलब्ध करवाना था.
इस दिशा में काम प्रारम्भ करने हेतु मैंने कहा कि आप ग्राम वासियों से भूमि को साझा कर ऐसी छोटी-छोटी मगर हर प्रकार की मार्ग सुविधायुक्त सरायें विकसित करिये. सचिव पर्यटन ने प्रारम्भ में बड़ा जोश दिखाया फिर कतिपय कारणों से योजना आगे नहीं बढ़ पाई. इधर मैं देख रहा हॅू कि कुछ ऐसे स्थल अब स्वतः विकसित हो रहे हैं. वहां सुविधाएं विकसित कर पर्यटन विभाग इस प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप दे सकता है. उत्तराखण्ड में लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं. उनकी सभी हमारे व्यंजनों दस्तकारी की वस्तुओं में बड़ी रूची रहती है. हमें उन्हें उनके यात्रा मार्ग में ही यह सुविधा देनी चाहिये.